वर्ष 2000 में जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद (UPSEB) को विघटित किया गया था तब दावा किया गया कि उपभोक्ता सेवा और ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सुधार होगा, उस समय भी यूपीएसईबी को तोड़ने के लिए प्राइस वाटर हाउस कूपर नामक एक कंसलटेंट लगभग 13.53 करोड़ में रखा गया।
UPPCL PPP Model : कंसल्टेंट की सलाह के बाद 1.10 लाख करोड़ पहुंचा घाटा, CAG रिफॉर्म को बता चुका है असफल, दोबारा जिद पर अड़े अफसर
Jan 08, 2025 19:45
Jan 08, 2025 19:45
वर्ष 2000 में 13.53 करोड़ में रखा जा चुका है कंसल्टेंट
वर्ष 2000 में जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद (UPSEB) को विघटित किया गया था तब दावा किया गया कि उपभोक्ता सेवा और ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सुधार होगा, उस समय भी यूपीएसईबी को तोड़ने के लिए प्राइस वाटर हाउस कूपर नामक एक कंसलटेंट लगभग 13.53 करोड़ में रखा गया। आखिरकार यूपीएसईबी को उत्तर प्रदेश राज विद्युत उत्पादन निगम, उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड व कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी केस्को के रूप में चार भागों में बांट दिया गया। वहीं अब उपभोक्ता परिषद ने बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का विघटन करने पर भारी नुकसान
वर्ष 2004 में जब महालेखाकार सीएजी ने पावर सेक्टर रिफॉर्म पर एक रिव्यू रिपोर्ट जारी की, तो उसमें पूरी तरह यूपीएसईबी के रिफॉर्म को असफल करार दिया गया। इसमें कहा गया कि एग्रीगेट ट्रांसमिशन एंड कॉमर्शियल लॉस (एटीएंडसी) बढ़ने से कलेक्शन एफिशिएंसी गिर गई। इस वजह से यूपीपीसीएल घाटे में पहुंच गया, उपभोक्ता सेवा में गिरावट आई और इसी प्रकार उत्पादन के क्षेत्र में भी गिरावट की बात कही गई।
सीनियर नौकरशाहों के हाथों में कमान जाने से बिगड़ा मामला, विद्युत परिषद बहाल करने की मांग
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री को इतिहास को देखने के लिए पुरानी पत्रावलियों का अध्ययन कराना चाहिए। इससे स्वत: पता चल जाएगा कि यूपीएसईबी को तोड़ने के बाद जब पूरी बागडोर प्रदेश के सीनियर नौकरशाहों के हाथ में दी गई, तब से लगातार बिजली कंपनियों का घाटा बढ़ता गया और 2000 में जो घाटा 77 करोड़ था वह आज 1 लाख 10 हजार करोड़ पर पहुंच गया। ऐसे में इतिहास को देखते हुए यूपीएसईबी भी को पुन: बहाल करना बेहतर होगा।
घाटा होने के बावजूद फिर उसी राह पर क्यों चल रहा यूपीपीसीएल प्रबंधन
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब सीएजी ऑडिट में 2004 में यूपीएसईबी को चार भागों में बांटने के बाद बने बिजली निगम के रिफॉर्म को असफल बताया जा चुका है। ऐसे में अब फिर पावर कारपोरेशन उसी रास्ते पर क्यों चलने जा रहा है। इसका मतलब की पावर कारपोरेशन को प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं व ऊर्जा क्षेत्र के विकास से कोई मतलब नहीं है। उसे केवल निजीकरण करके उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की योजनाएं से मतलब है, जो अपने आप में बहुत गंभीर मामला है। इसलिए आगे अब निजीकरण की प्रक्रिया पर तत्काल ऊर्जा हित में उपभोक्ताओं के हित में और प्रदेश हित में रोग लगा दी जानी चाहिए।
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