जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मस्जिद के पास हुए सर्वेक्षण के दौरान मुस्लिम पक्ष को भरोसे में लिए बिना ही पुलिस और हिंदू पक्ष के वकीलों के साथ कुछ ऐसे लोग शामिल थे, जो भड़काऊ नारे लगा रहे थे।
संभल मस्जिद हिंसा : जमीयत उलमा-ए-हिंद ने पुलिस फायरिंग पर जताई नाराजगी, प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार
Nov 26, 2024 17:45
Nov 26, 2024 17:45
भड़काऊ नारे लगाए गए
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मस्जिद के पास हुए सर्वेक्षण के दौरान मुस्लिम पक्ष को भरोसे में लिए बिना ही पुलिस और हिंदू पक्ष के वकीलों के साथ कुछ ऐसे लोग शामिल थे, जो भड़काऊ नारे लगा रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि इन नारों को सुनकर मुस्लिम युवा उत्तेजित हुए और घरों से बाहर निकले, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। मौलाना मदनी के अनुसार, जब पुलिस को स्थिति को संभालना चाहिए था, तो उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी, जिससे चार मुस्लिम युवकों की मौत हो गई।
अधिकारियों से जवाब की मांग
मौलाना अरशद मदनी ने इस घटना को अत्यंत गंभीर बताते हुए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से जवाब-तलबी की मांग की। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी न निभाने वाले पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, साथ ही उन लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाए जिन्होंने भड़काऊ नारे लगाए और हिंसा को उकसाया।
घटना पर जताई गहरी नाराजगी
जमीयत उलमा-ए-हिंद के दूसरे गुट के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भी इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को न केवल अन्यायपूर्ण, बल्कि भेदभावपूर्ण भी बताया। उनका कहना था कि अगर कोई सरकार किसी विशेष समुदाय के जीवन और संपत्ति को कमतर समझती है, तो यह संविधान और कानून का उल्लंघन है। मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि पहले ही चेतावनी दी जा चुकी थी कि मस्जिदों में मंदिर खोजने की कोशिश से देश की शांति और सौहार्द को खतरा हो सकता है, और यह घटना उसी का परिणाम है।
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