लोकसभा चुनाव में कई नौकरशाह चुनावी मैदान में उतरे लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। मतदाताओं ने इस बार इन्हें अधिक तवज्जो नहीं दी...
Lok Sabha Election Result : उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने पूर्व नौकरशाहों को नकारा, बड़े अंतर से हारे चुनाव
Jun 07, 2024 17:59
Jun 07, 2024 17:59
- कई नौकरशाहों को करारी हार का सामना करना पड़ा
- साकेत मिश्रा सपा के राम शिरोमणि वर्मा से हार गए
- हेमा मालिनी ने तीसरी बार जीत दर्ज की
साकेत मिश्रा
इसमें सबसे पहला नाम आता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट सेक्रेटरी रहे नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा का जिन्होंने भाजपा के टिकट पर श्रावस्ती से चुनाव लड़ा। लेकिन यहां साकेत मिश्रा सपा के राम शिरोमणि वर्मा से 76673 वोटों से हार गए। सपा प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा को 511055 वोट मिले तो वहीं साकेत मिश्रा को 434382 वोट मिले। इससे पहले 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में प्रत्याशी रहे राम शिरोमणि वर्मा को 5520 वोटों से जीत हासिल हुई थी। इस बार वो लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए हैं।
अरविंद सेन
पूर्व आईपीएस अरविंद सेन भाकपा के टिकट पर फैजाबाद से लड़े लेकिन बुरी तरह हार गए। बता दें कि अरविंद सेन कद्दावर नेता रहे स्वर्गीय मित्रसेन के पुत्र और पूर्व मंत्री आनंद सेन यादव के बड़े भाई हैं। उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच रहा। जिसमें सपा के अवधेश प्रसाद को 554289 वोट से जीत हासिल हुई। वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी रहे बीजेपी के लल्लू सिंह 499722 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। जबकि अरविंद सेन 15367 वोट के साथ चौथे स्थान पर रहे।
सुरेश सिंह
बसपा ने मथुरा लोकसभा सीट से रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह को प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच रहा। यहां उन्हें तीसरा स्थान मिला और उनकी पराजय हुई। दरअसल, मथुरा सीट पर भाजपा की तरफ से हेमा मालिनी ने अपनी दावेदारी पेश थी और उन्होंने 510064 वोट के साथ तीसरी बार जीत दर्ज की। जबकि उनके सामने कांग्रेस से मुकेश धनगर थे जिन्हें 216657 वोट मिले। वहीं रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और 176442 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
सुरेश चंद्र गौतम
इंजीनियरिंग संवर्ग के रिटायर्ड अफसर सुरेश चंद्र गौतम को जालौन से हार का सामना करना पड़ा। इस क्षेत्र में भी बीजेपी और सपा के बीच टक्कर रही। जालौन लोकसभा सीट पर सपा के नारायण दास अहिरवार ने बीजेपी प्रत्याशी और मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा को 53898 वोटों से हराया। नारायण दास अहिरवार को 530180 वोट मिले तो वहीं भानु प्रताप सिंह वर्मा को 476282 वोट मिले। जबकि बसपा प्रत्याशी सुरेश चंद्र गौतम को 100248 वोट मिले।
एस.एन.गौतम
पीपीएस अधिकारी रहे एस.एन.गौतम भी बसपा के टिकट पर कौशाम्बी से चुनाव लड़े लेकिन हार गए। बता दें कि कौशाम्बी लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच रहा। जहां सपा के पुष्पेंद्र सरोज ने दो बार के सांसद रहे बीजेपी प्रत्याशी विनोद कुमार सोनकर को भारी मतों से मात दी। जहां पुष्पेंद्र सरोज को 509787 वोट मिले तो वहीं विनोद सोनकर 405843 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इसके अलावा बसपा प्रत्याशी एस.एन.गौतम 55858 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
श्याम सिंह
पूर्व पीसीएस श्याम सिंह यादव ने बसपा के टिकट पर जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए। हालांकि उन्होंने 2019 में जीत दर्ज कराई थी। इस सीट पर भी मुख्य मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच ही रहा। जिसमें सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा ने बीजेपी के कृपाशंकर सिंह को शिकस्त दी। जहां एक तरफ बाबू सिंह कुशवाहा को 509130 वोट मिले तो वहीं कृपाशंकर सिंह को 409795 वोट के साथ संतोष करना पड़ा। जबकि पूर्व पीसीएस व बसपा प्रत्याशी श्याम सिंह यादव 157137 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
मनोज कुमार
इसके अलावा सपा ने रिटायर्ड एडीजे मनोज कुमार को नगीना सीट से टिकट दिया था। लेकिन यहां आजाद समाज पार्टी और भाजपा के बीच ही जीत का संघर्ष चला, जिसमें चंद्रशेखर रावण विजयी रहे। इस सीट पर चंद्रशेखर रावण को 512552 वोट मिले जबकि बीजेपी के ओम कुमार को 361079 वोट ही मिले। वहीं सपा प्रत्याशी रिटायर्ड एडीजे मनोज कुमार 102374 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
कुछ खास नहीं रहा पुराना रिकॉर्ड
पूर्व नौकरशाह में प्रदेश के सबसे चर्चित अधिकारी पीसीएस से आईएएस बने बाबा हरदेव सिंह का नाम भी सामने आता है। उन्होंने 2014 में मैनपुरी संसदीय सीट से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और हार गए थे। मायावती सरकार में एडिशनल कैबिनेट सेक्रेटरी रहे आईएएस अधिकारी विजय शंकर पाण्डेय ने 2019 के लोकसभा से पहले लोक गठबंधन पार्टी बनाई थी। उसी साल वो फैजाबाद सीट से चुनाव लड़े लेकिन बुरी तरह से हार गए। इसके अलावा मायावती के करीबी अधिकारियों में से एक पीएल पुनियां ने 2009 में कांग्रेस के टिकट पर बाराबंकी से चुनाव लड़ा और जीते थे। लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। पूर्व 1972 बैच के आईएएस डॉ. राय सिंह ने भी 2004 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पीलीभीत से चुनाव लड़ा लेकिन पराजित हुए।
इन्होंने बदला पाला
कई पूर्व नौकरशाहों ने मौका मिलते ही नेताओं की तरह पाला भी बदला। बसपा के सबसे कद्दावर अफसरों में शुमार आईएएस कुंवर फतेह बहादुर सिंह और रामबहादुर सिंह ने सेवानिवृत्त होने के बाद बसपा का दामन थामा था। लेकिन बाद में फतेह बहादुर सपा में तो रामबहादुर भाजपा में शामिल हो गए। ऐसे ही बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी अफसर पीएल पुनिया ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। इसके अलावा पूर्व आईएएस अफसर नीरा यादव के पति पूर्व आईपीएस महेंद्र सिंह यादव सपा मंत्री बने लेकिन बाद में उन्होंने भी बीजेपी की सदस्यता ले ली।
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