Paris Olympics 2024 : कौन है अन्नू रानी, जो गन्ने को भाला बना करती थीं प्रैक्टिस, अब देश का नाम रोशन करने जा रही है ओलंपिक 

कौन है अन्नू रानी, जो गन्ने को भाला बना करती थीं प्रैक्टिस, अब देश का नाम रोशन करने जा रही है ओलंपिक 
UPT | अन्नू रानी

Jul 20, 2024 20:29

पेरिस ओलंपिक में उत्तर प्रदेश के सात एथलीटों में शामिल अन्नू, अपने प्रदर्शन से न केवल राज्य बल्कि पूरे देश का नाम रोशन करने की उम्मीद जगा रही हैं।

Jul 20, 2024 20:29

Annu Rani : उत्तर प्रदेश की अन्नू रानी, पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं। 28 अगस्त 1992 को मेरठ में जन्मीं अन्नू, भाला फेंक में भारत की टॉप एथलीट हैं। उन्होंने कई बार राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा है और वर्तमान रिकॉर्ड 62.34 मीटर भी उन्हीं के नाम है। अन्नू ने इतिहास रचते हुए 60 मीटर से अधिक दूरी तक भाला फेंकने वाली पहली भारतीय महिला बनने का गौरव हासिल किया। उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें विश्व चैंपियनशिप के फाइनल तक पहुंचाया है। पेरिस ओलंपिक में उत्तर प्रदेश के सात एथलीटों में शामिल अन्नू, अपने प्रदर्शन से न केवल राज्य बल्कि पूरे देश का नाम रोशन करने की उम्मीद जगा रही हैं। जानें कैसा रहा उनका अब तक का सफर।

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गन्ने को भाला बना करती थीं प्रैक्टिस
सरधना के बहादरपुर गांव की रहने वाली अन्नू के पास भाला खरीदने के पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने गन्ने को ही भाला बनाकर प्रैक्टिस शुरू की। जूते खरीदने के लिए भी उन्हें चंदा इकट्ठा करना पड़ा। कोच की कमी में उनके भाई उपेंद्र ने ही उन्हें प्रशिक्षण दिया। गांव के स्कूल में ही सुबह-शाम अभ्यास करते हुए अन्नू ने अपने सपनों को उड़ान दी। 

अन्नू के जीवन में उनके भाई का बड़ा योगदान
अन्नू रानी के जीवन में उनके भाई उपेंद्र का काफी योगदान है। जब अन्नू ने जैवलिन थ्रो में रुचि दिखाई, तो उपेंद्र ने उन्हें गुरुकुल प्रभात आश्रम जाने का सुझाव दिया। घर से 20 किमी दूर होने के बावजूद, अन्नू सप्ताह में तीन दिन वहां प्रैक्टिस करने जाती थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी और दो खिलाड़ियों का खर्च उठाना मुश्किल था। इस स्थिति को देखते हुए, उपेंद्र ने अपने खेल के सपने को त्याग दिया ताकि अन्नू आगे बढ़ सकें। 



पिता से छुपकर करती थी प्रैक्टिस
अन्नू रानी, पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी है। उनके सबसे बड़े भाई उपेंद्र कुमार भी 5,000 मीटर के धावक रहे थे। अन्नू अपने बड़े भाई उपेंद्र कुमार को देखकर खेल की दुनिया में आई। उपेंद्र ने अन्नू में खेल के प्रति जुनून जगाया। अन्नू सुबह चार बजे उठकर गांव की सड़कों पर दौड़ने लगीं। हालांकि, उनके पिता ने कई बार उन्हें प्रैक्टिस से रोका, लेकिन अन्नू ने हार नहीं मानी। वे चुपके से अभ्यास करती रहीं, अपने सपनों को जीवित रखते हुए। 

बुखार में भी रखी प्रैक्टिस जारी
अन्नू रानी के पिता अमरपाल सिंह ने बताया कि दो माह पूर्व अन्नू को बुखार ने जकड़ लिया था। बुखार के बाद उसे इतनी कमजोरी आई कि उसका एशियन गेम्स में खेलना लगभग कैंसिल हो गया था। इसे लेकर अन्नू काफी तनाव में भी आ गई थी। अन्नू के कोच व टीम के सदस्यों ने उसका मनोबल बढ़ाया। जिसके बाद उसने कड़ी मेहनत की और बुखार व कमजोरी को पीछे छोड़कर देश के लिए गोल्ड मेडल जीत लिया।

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अन्नू की उपलब्धियां
2021 - टोक्यो ओलंपिक में प्रतिभाग। 
2019 -  वर्ल्ड चैंपियनशिप में फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला का रिकॉर्ड। 
2019 - एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक।
2017 - एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक। 
2016 - साउथ एशियन गेम्स में रजत पदक। 
2014 - एशियन गेम्स में कांस्य पदक।
2023 - एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक।

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