अब तक की बड़ी खबर : देश में एंटी पेपर लीक कानून लागू, तीन साल की सजा का प्रावधान, 10 लाख रुपये का जुर्माना

देश में एंटी पेपर लीक कानून लागू, तीन साल की सजा का प्रावधान, 10 लाख रुपये का जुर्माना
UPT | एंटी पेपर लीक कानून लागू।

Jun 22, 2024 00:45

देश में एक के बाद एक पेपर लीक्स के कई मामले आ चुके। इसमें सबसे गंभीर केस मेडिकल एंट्रेस के लिए आयोजित होने वाले NEET का माना जा रहा है। फिलहाल इसमें कई खुलासे हो चुकने के बाद भी गुत्थी सुलझ नहीं सकी।

Jun 22, 2024 00:45

News Delhi News : पेपर लीक को लेकर इस साल फरवरी में पारित हुआ कानून लागू हो गया है। सरकार ने कानून की अधिसूचना जारी कर दी है। एंटी पेपर लीक कानून के लागू होने के बाद सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने पर तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। सख्त प्रावधान किए गए
अब परीक्षाओं में नकल पर रोकथाम के लिए न्यूनतम तीन साल से पांच साल तक के कारावास और इस तरह के संगठित अपराध में शामिल लोगों को पांच से लेकर दस साल तक की जेल की सजा का प्रावधान होगा। प्रस्तावित कानून में न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

ये परीक्षा दायरे में आएंगी
देश में होने वाली सभी परीक्षाएं कानून के दायरे में आएंगी। यूपीएससी, एसएससी, रेलवे की ओर से आयोजित प्रतियोगी परीक्षाएं, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की ओर से आयोजित सभी कम्प्यूटर आधारित परीक्षाएं भी इसमें शामिल हैं।

पेपर लीक्स के मामले आए सामने
देश में एक के बाद एक पेपर लीक्स के कई मामले आ चुके। इसमें सबसे गंभीर मामला मेडिकल एंट्रेस के लिए आयोजित होने वाले नीट का माना जा रहा है। फिलहाल इसमें कई खुलासे हो चुकने के बाद भी गुत्थी सुलझ नहीं सकी। कई बड़े नाम भी संदिग्ध बताए जा रहे हैं। अब यह सवाल उठ रहा है कि पेपर लीक के मास्टरमाइंड और बाकी गैंग के अलावा क्या लीक्ड पेपर की तैयारी कर परीक्षा दे चुके परीक्षार्थियों पर भी कानूनी कार्रवाई होगी। 

नीट परीक्षा में क्या हुआ
NEET-UG 2024 पेपर लीक मामले में देशभर में विरोध हो रहा है। जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। मई में हुई परीक्षा के बाद जून में इसका रिजल्ट आया, जिसके साथ ही परीक्षा में धांधली के आरोप लगना शुरू हो गए थे। ऐसा इसलिए था कि अब तक एग्जाम में टॉप करने वाले परीक्षार्थी दो से तीन ही हुआ करते थे, जिनके समान नंबर होते। लेकिन इस बार एक साथ 60 से ज्यादा बच्चों को फर्स्ट रैंक मिली, यानी बराबर के अंक। इसके बाद ही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की विश्वसनीयता घेरे में आ गई। एनटीए देश के कई प्रतिष्ठित परीक्षा करवाता रहा। फिलहाल 13 गिरफ्तारियों के बीच मामले की हाई लेवल जांच चल रही है, और ये साबित हो चुका कि पेपर लीक तो हुआ है। 

पारित हो चुका है एंटी-पेपर लीक कानून 
इसी साल फरवरी में एंटी-पेपर लीक लॉ आया। पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट 2024 नाम से इस लॉ को खुद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी।  कानून लाने के पीछे मकसद था कि जितने भी बड़े सार्वजनिक एग्जाम हो रहे हैं, उनमें ज्यादा पारदर्शिता रहे। साथ ही युवा आश्वस्त रहें कि कोई गड़बड़ी नहीं होने पाएगी। यह कानून एक के बाद एक परीक्षाओं, जैसे नीट परीरीक्षा, राजजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा, हरियाणा में ग्रुप-डी पदों के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा सीईटी), गुजरात में जूनियर क्लर्क के लिए भर्ती और बिहार में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा सहित कई हालिया पेपर लीक्स को देखते हुए लाया गया।

क्या है पब्लिक एग्जामिनेशन
एंटी-लीक लॉ पब्लिक एग्जाम की बात करता है। यह वो परीक्षा है, जिसे पब्लिक एग्जामिनेशन अथॉरिटी आयोजित करवाती है, या फिर ऐसी अथॉरिटी जिसे केंद्र से मान्यता मिली हुई है इसमें कई बड़ी परीक्षाएं शाामिल हैं, जैसे यूपीएससी, एसएससी, इंडियन रेलवेज, बैंकिंग रिक्रूटमेंट, और एनटीए द्वारा आयोजित सारे कंप्यूटर-बेस्ट परीक्षा।  

क्या-क्या आता है इस कानून के दायरे में 
इस कानून के तहत क्वेश्चन पेपर या आंसर का लीक होना जो किसी भी तरह से परीक्षार्थी की मदद कर सके, अपराध है।  
  • इसके अलावा कंप्यूटर नेटवर्क के साथ छेड़खानी भी जुर्म है, जिससे पेपर की जानकारी पहले से मिल जाए।  
  • ऐसा अपराध चाहे एक पूरा ग्रुप करे, या फिर एक व्यक्ति या संस्था, इसे क्राइम की श्रेणी में ही रखा जाएगा।  
  • पैसों के फायदे के लिए फेक वेबसाइट बनाना या फिर फेक एग्जाम कंडक्ट कराना भी इस लॉ में आता है।  
  • कई बार अपराधी सीधे पेपर लीक नहीं करते, बल्कि दूसरी तरह की हेराफेरी करते हैं, जिससे उनके परीक्षार्थी को फायदा हो। ये भी एंटी लीक में शामिल है।
डिजिटल सिक्योरिटी पर दिया जा रहा जोर
कानून के तहत हाई लेवल नेशनल टेक्निकल कमेटी बनाने की भी सिफारिश है ताकि कंप्यूटर से होने वाले एग्जाम ज्यादा सिक्योर बनाए जा सकें साथ ही एग्जाम के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और फुलप्रूफ आईटी सिक्योरिटी सिस्टम की बात हो रही है। 

क्या हो सकती है सजा
  • सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून के तहत इनमें से कोई भी तरीका अपनाने पर न्यूनतम तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख का जुर्माना हो सकता है।  
  • ऑर्गेनाइज्ड क्राइम होने पर दोषियों को पांच से दस साल की कैद और 1 करोड़ की पेनल्टी लग सकती है।  
  • जांच कर रही एजेंसी के पास अधिकार होता है कि वे दोषियों की प्रॉपर्टी जब्त और कुर्क कर सकें ताकि एग्जाम में हुए नुकसान की मॉनिटरी भरपाई हो सके।  
  • यह कानून किसी भी ऐसे शख्स को परीक्षा केंद्र में आने से रोकता है, जिसे एग्जाम से जुड़ा काम नहीं सौंपा गया हो, या जो उम्मीदवार नहीं हो
कौन करता है जांच
पुलिस महकमे के बड़े अधिकारी, जैसे डीएसपी या एसीपी संदिग्ध मामलों की शुरुआती जांच-पड़ताल करते हैं।  

क्या विद्यार्थी भी आएंगे इस कानून के दायरे में 
प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों के लिए इस कानून में कोई बात नहीं। संसद में फरवरी में विधेयक पारित हुआ। उस दौरान केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि हमने बहुत ध्यान से उम्मीदवारों को कानून से बाहर रखा चाहे वे नौकरी के लिए एग्जाम दे रहे हों, या फिर छात्र हों। इस कानून का मकसद केवल ऐसे लोगों को रोकना है,  जो धांधली करके बच्चों और देश के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।  

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