सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार कहा कि बिल्डरों की ओर से खरीदारों पर थोपी जाने वाली शर्तों को नियंत्रित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी नियम की आवश्यकता है। पूरे देश में बिल्डर और प्रॉपर्टी खरीददारों के बीच डील के लिए एकसमान यानी कॉमन बिल्डर बायर एग्रीमेंट के नियम होना चाहिए।
बिल्डरों की मनमानी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त : देशभर में कॉमन बिल्डर बायर एग्रीमेंट बनाना जरूरी
Jul 08, 2024 16:06
Jul 08, 2024 16:06
खरीदारों पर थोपी जाने वाली शर्तों को नियंत्रित करना होगा
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि देश भर में प्रॉपर्टी खरीददार धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि बिल्डरों की ओर से खरीदारों पर थोपी जाने वाली शर्तों को नियंत्रित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी नियम की आवश्यकता है।
ढाई साल पहले ये कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी जनवरी 2022 में, एक 'नेशनल मॉडल बिल्डर-बायर अग्रीमेंट' की आवश्यकता पर जोर दिया था। इसका उद्देश्य घर खरीददारों को अनावश्यक परेशानी से बचाना और रियल एस्टेट डिवेलपर्स द्वारा लगाई जाने वाली गैर-जरूरी शर्तों से सुरक्षा प्रदान करना था। अदालत ने विशेष रूप से मध्यम वर्ग के घर खरीददारों की चिंताओं पर ध्यान दिया और केंद्र सरकार से एक मानक फॉर्म तैयार करने को कहा जो हाउसिंग एग्रीमेंट के दौरान उपयोग किया जाए।
यह था मामला
यह टिप्पणी एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय द्वारा 2020 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई। वकील देवाशीष भारुका ने अदालत को सूचित किया कि एक स्टेटस रिपोर्ट और बिल्डर-बायर अग्रीमेंट का एक ड्राफ्ट पहले ही जमा किया जा चुका है, जिसमें राज्य सरकारों के सुझावों को भी शामिल किया गया है। अदालत ने अगली सुनवाई 19 जुलाई तक स्थगित कर दी है और कहा कि क्रेडाई (कनफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) की आपत्तियों पर भी विचार किया जाना चाहिए।
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