दिल्ली में 10, राजाजी मार्ग पर शीर्ष नेताओं की बैठक हुई। राहुल गांधी रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद पद की शपथ लेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद राहुल ने इसकी जानकारी दी।
हो गया फैसला : रायबरेली से सांसद बने रहेंगे राहुल गांधी, प्रियंका वायनाड से चुनाव लड़ेंगी
Jun 17, 2024 22:48
Jun 17, 2024 22:48
दो घंटे तक चली बैठक
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी जानकारी दी। राहुल रायबरेली से सांसद बने रहेंगे और वायनाड से प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ेंगी। सोमवार को कांग्रेस की 2 घंटे की बैठक के बाद यह फैसला हुआ। राहुल ने कहा कि वायनाड और रायबरेली से मेरा भावनात्मक रिश्ता है। मुझे खुशी है कि मुझे फिर से रायबरेली का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा, लेकिन यह एक कठिन निर्णय था। मैं पिछले 5 साल से वायनाड से सांसद था। अब प्रियंका वायनाड से चुनाव लड़ेंगी। मैं भी समय-समय पर वायनाड का दौरा करता करूंगा।
Raibareli : राहुल गांधी के रायबरेली से सांसद बने रहने की खबर मिलने के बाद कांग्रेसियों ने मनाया जश्न। कांग्रेस जिला कार्यालय के सामने पटाखे जलाकर खुशी मनाई। प्रियंका गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने पर भी प्रसन्नता जाहिर की।@INCUttarPradesh @RahulGandhi @priyankagandhi @kashikirai pic.twitter.com/HiQHBntSiY
— Uttar Pradesh Times (@UPTimesLive) June 17, 2024
यूपी के कांग्रेस नेताओं का यही था दावा
यूपी कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडेय ने दावा किया था कि राहुल रायबरेली नहीं छोड़ेंगे। कुछ ऐसा ही दावा यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय भी कर चुके थे। राहुल कह चुके थे कि मेरे फैसले से रायबरेली और वायनाड दोनों क्षेत्र के कार्यकर्ता खुश होंगे। फैसले के लिए अब एक दिन का समय बाकी है।
बड़े अंतर से जीते राहुल
राहुल गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली से 3.90 लाख वोट से जीते। यहां उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह से था। वहीं वायनाड में राहुल गांधी ने ए राजा की बीवी एनी राजा को 3.64 लाख वोटों से हरा दिया।
राहुल ने कहा था- मेरे सामने बड़ी दुविधा है...
वायनाड में पिछले दिनों राहुल गांधी ने कहा, अब मेरे सामने एक बड़ी दुविधा है। सवाल यह है कि वायनाड का सांसद रहूं या रायबरेली से? मैं मोदी की तरह भगवान द्वारा निर्देशित नहीं हूं। मेरे भगवान भारत के गरीब हैं। मुझे अपने लोगों से बात कर तय करना है कि आगे क्या होगा? उन्होंने भीड़ से पूछा था कि मैं वायनाड का सांसद रहूं या रायबरेली? भीड़ से आवाज आई- वायनाड।
पहला मौका नहीं
यह कोई पहला मौका नहीं, जब नेहरू-गांधी परिवार का कोई नेता दो सीट से चुनाव जीता। ऐसा पहले भी हुआ। इंदिरा से लेकर सोनिया तक दो सीटों से चुनाव जीते। दोनों ही एक सीट उत्तर भारत और एक दक्षिण से जीते। ऐसा ही राहुल के साथ भी हुआ। इंदिरा ने 1980 में रायबरेली के साथ आंध्र प्रदेश की मेंडक लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ा। दोनों से जीतीं। तब किसी एक को चुनने में इंदिरा ने आंध्र प्रदेश की सीट को तरजीह दी और रायबरेली लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसी तरह सोनिया गांधी ने 1999 में यूपी की अमेठी और कर्नाटक की बेल्लारी सीटों से चुनाव लड़ा और दोनों जीतीं। तब सोनिया ने अमेठी को चुना और बेल्लारी से सांसदी छोड़ दी। अब राहुल भी मां सोनिया और दादी इंदिरा की तरह एक नॉर्थ और एक साउथ सीट से चुनाव जीत गए हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि वह दोनों में से किस फॉर्मूले के मुताबिक फैसला लेंगे?
क्या कहते हैं नियम?
राहुल गांधी यूपी की रायबरेली और केरल की वायनाड दो सीट से चुनाव जीते हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 68 (1) के अनुसार, दो सीटों से चुनाव जीतने की स्थिति में संबंधित नेता को 14 दिन में एक सीट छोड़नी पड़ती है। समयसीमा की गिनती चुनाव नतीजों के ऐलान के बाद से की जाती है। लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आए, ऐसे में कोई एक सीट छोड़ने की अंतिम तारीख 18 जून है।
इस्तीफा नहीं दिया तो?
दो सीट से निर्वाचित किसी नेता ने अगर एक सीट से तय सीमा के भीतर इस्तीफा नहीं दिया तो क्या होगा? नियमानुसार अगर 14 दिन के भीतर एक सीट नहीं छोड़ी तो दोनों ही सीटें रिक्त मानी जाएंगी। ऐसे में राहुल को 18 जून तक रायबरेली या वायनाड में से किसी एक सीट से इस्तीफा लोकसभा सचिवालय को भेजना है।
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