भोजपुरी को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग : रवि किशन ने लोकसभा में पेश किया प्राइवेट बिल, अभी इन्हें है मान्यता प्राप्त

रवि किशन ने लोकसभा में पेश किया प्राइवेट बिल, अभी इन्हें है मान्यता प्राप्त
UPT | रवि किशन

Jul 28, 2024 16:30

गोरखपुर सांसद रवि किशन ने भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लोकसभा में एक प्राइवेट बिल पेश किया है।

Jul 28, 2024 16:30

Gorakhpur News : भोजपुरी सुपरस्टार और भाजपा सांसद रवि किशन ने भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लोकसभा में एक प्राइवेट बिल पेश किया है। इस विधेयक को शुक्रवार को "संविधान (संशोधन) विधेयक 2024" के रूप में पेश किया गया। रवि किशन का मानना है कि भोजपुरी केवल मनोरंजन के लिए सीमित नहीं है, बल्कि इसमें एक समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और साहित्य है जिसे बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

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यहां बोली जाती है भोजपुरी 
गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन ने कहा कि भोजपुरी भाषा को व्यापक मान्यता देने के लिए यह विधेयक जरूरी है। उन्होंने बताया कि यह भाषा उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार, झारखंड, और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में बोली जाती है, साथ ही यह विदेशों में भी व्यापक रूप से इस्तेमाल होती है। उदाहरण के लिए, मॉरीशस में लगभग 140 मिलियन लोग भोजपुरी बोलते हैं।


भोजपुरी को बताया मातृभाषा 
रवि किशन ने कहा, “भोजपुरी हमारी मातृभाषा है और यह केवल गानों तक सीमित नहीं है। इसकी एक समृद्ध साहित्यिक धरोहर है। भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री भी सक्रिय है और लाखों लोगों को रोजगार देती है, वहीं संगीत इंडस्ट्री भी काफी बड़ी है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस विधेयक का उद्देश्य भोजपुरी साहित्य को सम्मानित करना और उसकी लोकप्रियता को बढ़ाना है।

सिर्फ फालतू गाने ही भोजपुरी भाषा नहीं
रवि किशन ने अपने बयान में कहा कि यह विधेयक सिर्फ भोजपुरी के साहित्यिक महत्व को बढ़ावा देने के लिए है। उनका कहना है कि “भोजपुरी की पहचान सिर्फ फालतू गाने ही नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह भाषा अपनी साहित्यिक मूल्य और सांस्कृतिक योगदान के लिए जानी जानी चाहिए।”

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भोजपुरी को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग 
उन्होंने यह भी बताया किया कि विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और आंदोलनों के माध्यम से भोजपुरी को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बावजूद, भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान नहीं मिला है, जो कि इसकी आधिकारिक मान्यता के लिए आवश्यक है।

22 भाषाओं को हैं मान्यता प्राप्त
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं सूचीबद्ध हैं, जिन्हें अनुसूचित भाषाओं के रूप में मान्यता प्राप्त है। इन भाषाओं को संविधान में दर्जा और आधिकारिक प्रोत्साहन प्रदान किया गया है। जिसमें असमिया, उड़िया, उर्दू, कन्नड़,  कश्मीरी, कोंकणी, गुजराती, डोगरी, तमिल, तेलुगू, नेपाली, पंजाबी, बांग्ला, बोड़ो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत, सिंधी और हिंदी शामिल है। 

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