ख्वाजा मोईनउद्दीन विवि के पूर्व कुलपति समेत 10 शिक्षकों की बर्खास्तगी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शिक्षकों को बर्खास्त करने की कार्रवाई करने वाली कार्य परिषद के कुछ सदस्यों की शैक्षिक योग्यता पर ही सवाल उठे हुये हैं।
ख्वाजा मोईनउद्दीन विवि : आठ साल तक पढ़ाते रहे अयोग्य शिक्षक, भविष्य दांव पर, पूर्व कुलपति समेत 10 शिक्षकों की बर्खास्तगी से भूचाल
Mar 13, 2024 15:13
Mar 13, 2024 15:13
- हाईकोर्ट में दाखिल हुई आधा दर्जन पिटीशन, UGC, AICTE से मांगा गया कुलपति की शैक्षिक योग्यता का ब्यौरा
- गठन के समय से ही विवादों में घिरे इस विश्वविद्यालय में तीन हजार से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं
गठन के समय से ही विवादों में घिरा विश्वविद्यालय
मायावती सरकार ने 2009 में लखनऊ में कांशीराम स्मारक विश्वविद्यालय बनाया। जहां शैक्षिक पाठयक्रम शुरू होने से पहले यूपी में समाजवादी नीति सरकार बन गई। जिसके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विवि का नाम कांशीराम से बदलकर ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती विवि कर दिया। सेवानिवृत आईएएस अनीस अंसारी कुलपति नियुक्त हुये। आरोप है कि उन्होंने नियमों की अनदेखी कर शिक्षक भर्ती किये। ऐसे अभ्यर्थियों को प्रोफेसर, सहायक, एसोसिएट बनाया, जिनकी शैक्षिक योग्यता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों को पूरा नहीं करती थीं। आंतरिक जांचों में इसका खुलासा हुआ लेकिन कभी कार्रवाई नहीं हुई। उनके बाद विवि में कुलपति का ओहदा संभालने वाले अधिकतर शिक्षकों ने मनमाने वित्तीय फैसले लिये। लेखा-परीक्षक रिपोर्ट में ढेरों खामियां पकड़ी गयीं पर कार्रवाई सिफर रहीं। प्रो.एनबी सिंह ने कुलपति बनते ही अपने सरकारी घर की मरम्मत पर 48 लाख, गेस्ट हाउस की मरम्मत पर 30 लाख खर्च दिये। इसकी व्यापाक पैमाने पर शिकायत हुई। इसी बीच उन्होंने यहां की सिक्योरिटी एजेंसी भी बदल दी। फारसी विभाग के एक शिक्षक ने तो कार्य परिषद की वैधता को ही चुनौती देते हुए अदालत में वाद दाखिल कर दिया जो अभी लंबित है। राजभवन को शिकायत भेजी। कुलपति की शैक्षिक योग्यता पर भी सवाल उठाया गया, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब प्रो.एनबी सिंह की अध्यक्षता वाली कार्य परिषद ने इसी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. माहरूख मिर्जा समेत 10 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है। अब गठन के समय से ही विवादों में घिरे इस विश्वविद्यालय में तीन हजार से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं। सवाल यह है कि उनके भविष्य से खिलवाड़ का जिम्मेदार कौन है ?
इन्हें बर्खास्त किया गया
(1) नामः प्रो.संजीव कुमार त्रिवेदी, विभागः इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्प्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग।
आरोपः जांच समिति ने पाया, संबंधित पद की न्यूनतम अर्हता पूरी नहीं करते
निर्णयः सेवा से हटाने का निर्णय लिया गया।
(2) नामः डॉ.राजेन्द्र कुमार त्रिपाठी
विभागः गणित विभाग
आरोपः जांच समिति का निष्कर्ष है कि अनुभव प्रमाण पत्र में अस्पष्टता है।
निर्णयः अनुभव प्रणाम पत्र की सत्यता का सत्यापन होने, वह कार्य परिषद की मंजूरी तक कार्य विरत
(3) नामः डॉ.ममता शुक्ला
विभागः सह आचार्य, बायोटेक्नॉलाजी विभाग
आरोपः जांच समिति का निष्कर्ष है कि ममता शुक्ला पद की न्यूनत अर्हता पूरी नहीं करती हैं।
निर्णयः सेवा से हटाने का निर्णय लिया गया।
(4) नामः डॉ.मानवेन्द्र सिंह
विभागः सहायक आचार्य, बायोटेक्नालॉजी
आरोपः जांच समिति का निष्कर्ष है कि पद की न्यूनत अर्हता पूरी नहीं करते हैं।
निर्णयः सेवा से हटाने का निर्णय लिया गया
(5) नामः डॉ.नदीम अंसारी
विभागः सहायक आचार्य, बायोटेक्नालाजी
आरोपः जांच समिति का निष्कर्ष है कि पद की न्यूनत अर्हता पूरी नहीं करते हैं।
निर्णयः सेवा से हटाने का निर्णय लिया गया
(6) नामः श्रीमती निधि सोनकर
विभागः सहायक आचार्य, मैनेजमेन्ट विभाग
आरोपः जांच समिति का निष्कर्ष है कि पद की न्यूनत अर्हता पूरी नहीं करती हैं।
निर्णयः सेवा से हटाने का निर्णय लिया गया
(7) नामः प्रवीण कुमार राय
विभागः सह आचार्य, भूगोल विभाग
आरोपः जांच समिति का निष्कर्ष है कि पद की न्यूनत अर्हता पूरी नहीं करते हैं।
निर्णयः सेवा से हटाने का निर्णय
(8) नामः डॉ.जमाल शब्बीर रिजवी
विभागः सह आचार्य, उर्दू विभाग
आरोपः जांच समिति का निष्कर्ष है कि पद की न्यूनत अर्हता पूरी नहीं करते हैं।
निर्णयः सेवा से बर्खास्त करने का निर्णय
(9) नामः डॉ.ताबिंदा सुल्ताना
विभागः सहायक आचार्य, राजनीति शास्त्र
आरोपः जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कहा गया कि नियुक्ति के लिए परास्नातक की अंकतालिका को कूटरचित किया गया।
निर्णयः सेवा से बर्खास्त करने के साथ ही, पुलिस एफआईआर भी दर्ज कराने का निर्णय
(10) नामः प्रो.माहरूख मिर्जा
विभागः पूर्व कुलपति, विभागध्यक्ष वाणिज्य विभाग
आरोपः कुलसचिव ने रिपोर्ट दी कि उन पर लगे आरोपों का उत्तर देने के लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया गया था, मगर उन्होंने एक माह तक उत्तर नहीं दिया। जांच में पाया गया कि वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के समय उन्होंने कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत किये थे। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उन्होने जानबूछकर अपने कतर्व्यो का उल्लंघन किया है।
निर्णयः सेवा से बर्खास्त करने का निर्णय लिय़ा गया।
Uttarprdeshtimes.com ने ख्वाजा मोईन उद्दीन भाषा विवि के कुलपति, कुलसचिव से ई-मेल के जरिये ये सवाल पूछे मगर उन्होंने उत्तर नहीं दिया।Lucknow: आठ साल तक पढ़ाते रहे अयोग्य शिक्षक, भविष्य दांव पर, पूर्व कुलपति समेत 10 शिक्षकों की बर्खास्तगी से भूचाल#Lucknow #UttarPradesh #UttarPradeshTimes #KhwajaMoinuddinChishtiLanguageUniversity @kmcluniversity @EduMinOfIndia @AdminLKOhttps://t.co/ZjoY1mHsaY
— Uttar Pradesh Times (@UPTimesLive) March 13, 2024
- पूर्व कुलपति समेत 10 शिक्षकों के कूटरचित दस्तावेजों से नियुक्ति, पद की योग्यता न रखने के बाद भी इनको नियुक्ति देने वाली समिति भी क्या आरोपी नहीं हुई ?
- क्या योग्यता न रखने वालों को प्रोफेसर बनाने के जिम्मेदार तत्कालीन कुलपति पर भी मुकदमा चलाया जाएगा अगर नहीं तो क्यों ?
- तकरीबन आठ सौ बच्चों को अयोग्य शिक्षकों से शिक्षित कराने का जिम्मेदार कौन है ? क्या इसके लिए इस विवि में नियुक्त हुये सभी कुलपतियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी
- प्रो.माहरूख मिर्जा को जब इसी विश्वविद्यालय में कुलाधिपति ने कुलपति नियुक्त किया तो उनकी शैक्षिक योग्यता का वेरीफिकेशन किसने किया था, क्या तत्कालीन और मौजूदा रजिस्ट्रार इसके लिए दोषी नहीं हैं।
- क्या मौजूदा कुलपति प्रो.एनबी सिंह के खिलाफ मौजूदा समय में वित्तीय अनियमितता, आईईटी में तैनाती के दौरान पेपर लीक, शैक्षिक योग्यता पर लगे आरोपों की कोई जांच चल रही है।
ख्वाजा मोइन उद्दीन चिश्ती विवि के पूर्व कुलपति प्रो.माहरूख मिर्जा समेत 10 शिक्षकों को बर्खास्त करने की कार्रवाई करने वाली कार्य परिषद के कुछ सदस्यों की शैक्षिक योग्यता पर ही सवाल उठे हुये हैं। ऐसे में इस जांच समिति के आधार पर की गई कार्रवाई को लेकर व्यापक सवाल खड़े हो गये हैं। कुलपति प्रो. एनबी सिंह पर छात्रों की फीस से अर्जित 80 लाख रुपये का इस्तेमाल अपने घर व गेस्ट की मरम्मत पर करने का आरोप लगा लगा है। इसकी कुलाधिपति समेत अन्य अधिकारियों से पहले से ही शिकायत की गयी है, जिससे इस कार्रवाई की निष्पक्षता पर भी सवाल उठ रहा है।
जो भी कार्रवाई हुई है, वह नियम संगत है। जांच समिति की संस्तुयियों के आधार पर हुई है। वह इससे ज्याद उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं है। -प्रो,एनबी सिंह, कुलपति, भाषा विश्वविद्यालय
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