नावी बॉन्ड का ब्योरा सार्वजनिक कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश टाइम्स ने 763 पेज की दो रिपोर्ट पढ़कर आपके लिए महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई हैं।
Electoral Bond SBI Report : अडानी-अंबानी नहीं ये है नेताओं को सबसे ज्यादा चंदा देने वाला, पांच साल में 1368 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे
Mar 15, 2024 14:23
Mar 15, 2024 14:23
रिपोर्ट में क्या खास
भारतीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर यह जानकारी दो लिस्ट में है। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की और दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की जानकारी है। कुल 763 पेज हैं। ईसीआई की ओर से प्रकाशित सूची में कुल 12,155 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड का ब्योरा है, जो पांच साल में 1,300 से अधिक कंपनियों ने खरीदे। 27 दलों ने ये चुनावी बॉन्ड भुनाए हैं। इनमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, TDP, YSR कांग्रेस, AIADMK, बीआरएस, डीएमके, JDS, एनसीपी, जेडीयू और राजद भी हैं।
सट्टे से सियासत तक किंग
फ्यूचर गेमिंग व होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली सबसे बड़ी दानदाता कंपनी है। इसकी स्थापना साल 1991 में लॉटरी किंग ऑफ इंडिया कहे जाने वाले सैंटियागो मार्टिन ने की थी। इस कंपनी के खिलाफ ईडी की जांच भी चल रही है। लॉटरी रेगुलेशन एक्ट 1998 के तहत और आईपीसी के तहत कई केस चल रहे हैं। खास बात यह कि फ्यूचर गेमिंग 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा दान करने वाली अकेली कंपनी है।
बड़ा सवाल : 1368 करोड़ रुपये दान करने वाला कौन
मार्टिन सेंटियागो देश की 114 अलग-अलग कंपनियों में निदेशक है। लॉटरी किंग ऑफ इंडिया की पहचान रखने वाला सैंटियागो मार्टिन ने फ्यूचर गेमिंग की स्थापना 1991 में की थी। साल 2003 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने लॉटरी पर प्रतिबंध लगाया तो कंपनी ने कारोबार कर्नाटक और केरल में शिफ्ट कर दिया। आपने सिक्किम लॉटरी का नाम सुना होगा। नॉर्थ ईस्ट में प्रचलित रही इस लॉटरी का मास्टर डिस्ट्रीब्यूटर सैंटियागो मार्टिन रहा। इन राज्यों में लॉटरी कानूनी रूप से वैध है। आज फ्यूचर गेमिंग 13 राज्यों में 1,000 से अधिक कर्मचारियों के साथ कारोबार करती है। ये 13 राज्य हैं मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, गोवा, केरल, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, सिक्किम, मणिपुर, मेघालय और पश्चिम बंगाल। साथ ही नागालैंड और सिक्किम में लोकप्रिय डियर लॉटरी के एकमात्र वितरक यही हैं। भारत से बाहर भी कुछ देशों में इनका कारोबार है। साल 2022 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इस कंपनी से जुड़ी 409 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की थी। इसी साल ईडी ने तमिलनाडु में अवैध खनन की जांच के लिए सैंटियागो मार्टिन के दामाद आधार अर्जुन के परिसर में छापा मारा था।
इन सवालों का जवाब मिलना बाकी
- किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है, इसका लिस्ट में जिक्र नहीं किया गया है।
- एसबीआई ने वह यूनिक कोड नहीं बताया, जिससे पता चलता कि किसने-किसे चंदा दिया।
- यह योजना 2017 में शुरू हुई थी जबकि सार्वजनिक की गई सूचियों में अप्रैल 2019 से डेटा दिया गया है।
- दानदाताओं और इसे लेने वालों के आंकड़े में अंतर है। दानदाताओं में 18,871 एंट्री है, जबकि लेने वालों में 20,421 एंट्री है।
विवादों में रही चुनावी बॉन्ड स्कीम
तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2017 में चुनावी बॉन्ड स्कीम पेश की थी। तब दावा किया गया था कि यह चुनाव सुधार की दिशा में कदम है। ब्लैक मनी पर अंकुश लग सकेगा। साथ ही राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में इससे पारदर्शिता आएगी। लेकिन बाद में आरोप लगने लगे कि दानदाताओं का नाम सार्वजनिक न होने से ये काला धन खपाने और सत्ताधारी दल को वित्तपोषित करने का माध्यम बनकर रह जाएगा।
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