अरविंद केजरीवाल ने 2019-2020 में अपनी वार्षिक आय 1,57,823 रुपये बताई थी, जो मासिक 13,152 रुपये के बराबर है...
यूपी के वोटर हैं केजरीवाल! भाजपा के आरोपों से आम आदमी पार्टी के मुखिया की मुश्किलें बढ़ीं
Jan 18, 2025 14:53
Jan 18, 2025 14:53
आय के आंकड़ों में विसंगति का आरोप
एडवोकेट शकीत गुप्ता ने भाजपा के नेता प्रवेश वर्मा की ओर से गंभीर आरोप लगाते हुए रिटर्निंग ऑफिसर (RO) के समक्ष आपत्ति दर्ज की है। एडवोकेट शकीत गुप्ता ने दावा किया कि अरविंद केजरीवाल ने 2019-2020 में अपनी वार्षिक आय 1,57,823 रुपये बताई थी, जो मासिक 13,152 रुपये के बराबर है। गुप्ता ने इसे गलत और भ्रामक करार देते हुए कहा, “दिल्ली विधानसभा के रिकॉर्ड के अनुसार, मुख्यमंत्री को 20,000 रुपये मासिक वेतन और 1,000 रुपये प्रतिदिन भत्ता मिलता है। केजरीवाल द्वारा दी गई जानकारी न्यूनतम वेतन अधिनियम का भी उल्लंघन करती है और मतदाताओं को गुमराह करने का प्रयास है।”
वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का दावा
शकीत गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल का नाम दिल्ली के वार्ड 52 की मतदाता सूची में सीरियल नंबर 709 पर दर्ज है। हालांकि, उनकी जांच में पाया गया कि इस वार्ड में केवल 1 से 708 तक के सीरियल नंबर हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि केजरीवाल का नाम उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के कौशांबी में वार्ड नंबर 72, वोटर नंबर 991 में भी दर्ज है। गुप्ता ने सवाल उठाते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश में पंजीकृत एक मतदाता दिल्ली में चुनाव कैसे लड़ सकता है? यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि नैतिकता के भी खिलाफ है।”
हलफनामे में जानकारी छिपाने का आरोप
एडवोकेट गुप्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली के नॉर्थ एवेन्यू थाने में गंभीर धाराओं के तहत तीन मामले दर्ज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने अपने नामांकन पत्र में इन मामलों की जानकारी छिपाई है। गुप्ता ने इसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए RO से केजरीवाल का नामांकन खारिज करने की मांग की।
नामांकन प्रक्रिया पर रोक
एडवोकेट शकीत गुप्ता ने दावा किया कि रिटर्निंग ऑफिसर ने इन आरोपों के आधार पर अरविंद केजरीवाल के नामांकन पर रोक लगा दी है। उन्होंने कहा, “हमारी मांग है कि RO उनका नामांकन खारिज कर दें, क्योंकि यह मतदाताओं को धोखा देने और चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने का मामला है।” चुनाव आयोग में दायर की गई आपत्ति के अनुसार, गुप्ता ने यह भी कहा कि इस प्रकार की अनियमितताओं को अनदेखा करना लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकता है। उन्होंने चुनाव आयोग से कड़ी कार्रवाई की मांग की।
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