आम तौर पर केंद्र सरकार गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों और कभी-कभी भारत रत्न का ऐलान करती है। इस बार सरकार ने गणतंत्र दिवस से दो दिन पहले ही भारत रत्न के बारे में ऐलान कर दिया है। 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती है।
देश का सबसे बड़ा सम्मान : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न, 100वीं जयंती से पहले केंद्र सरकार ने किया फैसला
Jan 23, 2024 20:57
Jan 23, 2024 20:57
दो दिन पहले ही कर दिया ऐलान
आम तौर पर केंद्र सरकार गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों और कभी-कभी भारत रत्न का ऐलान करती है। इस बार सरकार ने गणतंत्र दिवस से दो दिन पहले ही भारत रत्न के बारे में ऐलान कर दिया है। 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती है। इसकी पूर्व संध्या पर उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा हुई है।
भारत रत्न पाने वाले बिहार के तीसरे व्यक्ति
बता दें कि कर्पूरी ठाकुर सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले बिहार के तीसरे व्यक्ति होंगे। इनसे पहले जयप्रकाश नारायण, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को यह सम्मान दिया गया था। कर्पूरी ठाकुर 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे।
48 लोगों को अब तक मिल चुका है भारत रत्न
करीब 68 साल पहले शुरू हुए इस सर्वोच्च सम्मान से अब तक 48 हस्तियों को सम्मानित किया जा चुका है। पहली बार साल 1954 में आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राज गोपालाचारी, वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन और सर्वपल्ली राधाकृष्णन को दिया गया था।
जेडीयू ने की थी मांग
जानकारी के मुताबिक सोमवार को ही जदयू ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा था कि कर्पूरी ठाकुर जननायक थे और उन्होंने समाज के लिए बहुत से काम किए। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ईमानदारी, सादगी और उच्च राजनीतिक मूल्यों के अनुकरणीय व्यक्तित्व हैं। उनका सारा जीवन समाज के आखिरी व्यक्ति को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की फिक्र में गुजर गया।
एक बार भी मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए
24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर में कर्पूरी ठाकुर का जन्म हुआ था। वह दो बिहार के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन एक भी बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। कर्पूरी ठाकुर जब मुख्यमंत्री बने तो बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए मुंगेरी लाल आयोग की अनुशंसा लागू कर आरक्षण का रास्ता खोल दिया। इस वजह से उन्हें अपनी सरकार की कुर्बानी देनी पड़ी, लेकिन जननायक अपने संकल्प से विचलित नहीं हुए।
मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी पास करने की अनिवार्यता को किया खत्म
कर्पूरी ठाकुर ने ही बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी पास करने की अनिवार्यता को खत्म किया। उन्होंने ही सबसे पहले बिहार में शराबबंदी लागू की। सरकार गिरने पर राज्य में फिर से शराब के व्यवसाय को मान्यता मिल गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कई बार इस घटना का जिक्र किया।
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