मुरादाबाद जिले के कुंदरकी की निवासी आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज इन दिनों मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उनके सुर्खियों में आने की वजह हिमाचल प्रदेश के दून विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस...
कौन हैं तेजतर्रार IPS इल्मा अफरोज : विदेशी नौकरी छोड़ चुनी देश सेवा, अब कांग्रेस विधायक से विवाद में लेनी पड़ी लंबी छुट्टी
Nov 14, 2024 12:26
Nov 14, 2024 12:26
विधायक की पत्नी का चालान काटने पर शुरू हुआ विवाद
यह विवाद 4 अगस्त 2024 को शुरू हुआ। जब बद्दी पुलिस ने दून विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी की पत्नी कुलदीप कौर के खनन से जुड़े दो उपकरणों– डंपर और पोलेन मशीन को जब्त किया। इस पर जुर्माना भी लगाया गया। बताया जाता है कि इस कार्रवाई के बाद विधायक की पत्नी ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) इल्मा अफरोज पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की। वहीं पुलिस द्वारा कार्रवाई जारी रखने पर विधायक राम कुमार चौधरी ने विधानसभा में एक विशेषाधिकार हनन नोटिस दायर कर दिया और आरोप लगाया कि एसपी इल्मा अफरोज उनकी जासूसी कर रही हैं। विधायक के इस आरोप ने मामला तूल पकड़ लिया और दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया। विवाद इस कदर बढ़ा कि आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज ने रातों-रात अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया और मुरादाबाद अपने घर चली गईं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इल्मा ने लंबे समय के लिए छुट्टी पर जाने का निर्णय लिया। जिससे उनकी वापसी के सवाल पर सस्पेंस बना हुआ है।
यूपी बीजेपी ने कांग्रेस पर लगाया आरोप
इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष बासित अली ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि ईमानदार पुलिस अधिकारी को परेशान किया जा रहा है। बासित अली ने यह भी कहा कि यह पूरे मामले में साफ तौर पर राजनीतिक दबाव का खेल दिख रहा है। जहां एक कड़ी कार्रवाई करने वाली अधिकारी को केवल इस वजह से निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह एक ईमानदार और निष्पक्ष पुलिस अधिकारी हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यदि विधायक के परिवार के खिलाफ हुई कार्रवाई सही थी तो क्यों इसे दबाया जा रहा है और क्यों उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस मुद्दे ने सियासत में और गर्मी पैदा कर दी है और इसे लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
ठुकराया था विदेशी नौकरी का ऑफर
इल्मा अफरोज के जीवन में पहली बड़ी चुनौती तब आई, जब वे महज 14 साल की उम्र में अपने पिता को कैंसर के कारण खो बैठीं। इसके बाद उनकी मां ने अकेले ही इल्मा और उनके 12 वर्षीय भाई को पालने की जिम्मेदारी उठाई। इल्मा ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से दर्शनशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से स्कॉलरशिप प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गईं। यहां उन्होंने अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए पेरिस में भी एक्सचेंज प्रोग्राम में भाग लिया। न्यूयॉर्क में एक फाइनेंशियल कंपनी से अच्छे पेशेवर पैकेज का नौकरी का प्रस्ताव मिला लेकिन देश की सेवा की ख्वाहिश में उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकराकर भारत लौटने का फैसला किया।
राजनीतिक आरोप और पत्रकारों का समर्थन
विधायक रामकुमार चौधरी ने एसपी के खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया। जिसके बाद सरकार ने एसपी को लंबी छुट्टी पर भेजने का निर्णय लिया। इस बीच पत्रकार जाकिर अली त्यागी ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से सवाल पूछा है। जिसमें उन्होंने यह तर्क रखा कि अगर सरकार एसपी इल्मा अफरोज के खिलाफ कार्रवाई कर रही है तो क्या वह उनके संघर्ष और योगदान को नज़रअंदाज़ कर रही है। उन्होंने सुक्खू सरकार से यह सवाल भी किया कि "आप एक ट्रक ड्राइवर के बेटे हैं, लेकिन क्या आपको गरीब, मजदूर और संघर्षरत बच्चों का दर्द महसूस नहीं होता?" जाकिर अली ने इस सवाल के जरिए सरकार को चुनौती दी और एसपी के संघर्ष को उजागर किया।
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