उर्दू के प्रसिद्ध कवि गुलजार और संत रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ देने का एलान किया गया है। दोनों को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
ज्ञानपीठ पुरस्कारों का हुआ एलान : गुलजार और रामभद्राचार्य को मिलेगा सम्मान, चयन समिति ने की घोषणा
Feb 17, 2024 19:09
Feb 17, 2024 19:09
- ज्ञानपीठ पुरस्कारों का हुआ एलान
- रामभद्राचार्य और गुलजार को मिला सम्मान
- 22 भाषाएं बोल सकते हैं रामभद्राचार्य
22 भाषाएं बोल सकते हैं रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य संस्कृत के प्रख्यात विद्वान हैं। उनका जन्म यूपी के जौनपुर में हुआ था। वह 22 भाषाएं बोल सकते हैं। उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा सकता है। वहीं गुलजार हिंदी सिनेमा में जाना-माना नाम हैं। उन्हें दादा साहब फाल्के, पद्म भूषण के अलावा 5 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं।
किसे मिलता है ज्ञानपीठ पुरस्कार?
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार है। ज्ञानपीठ पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पहली बार 1965 में मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप को उनकी कृति ओडक्कुझल के लिए ज्ञानपीठ दिया गया था। आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखने वाले व्यक्ति को यह पुरस्कार दिया जा सकता है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार का इतिहास
ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना श्री साहू शांति प्रसाद जैन ने 1961 में की थी। वे भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक थे। उन्होंने इस पुरस्कार की स्थापना भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने और भारतीय लेखकों को सम्मानित करने के लिए की थी। ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए नामांकन विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों, अध्यापकों, समालोचकों, प्रबुद्ध पाठकों, विश्वविद्यालयों, साहित्यिक तथा भाषायी संस्थाओं द्वारा भेजे जाते हैं। प्राप्त प्रस्ताव संबंधित 'भाषा परामर्श समिति' द्वारा जाँचे जाते हैं।
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