अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए यह लहर जन-जन तक पहुंचाने का काम आडवाणी ने अपनी रथयात्रा की बदौलत किया। आपको बता दें कि 1990 में गुजरात के सोमनाथ से शुरू हुई...
Lal Krishna Advani Ram Mandir : आडवाणी की रथयात्रा से उठी थी 'राम लहर', अयोध्या में राम मंदिर की इबारत लिखने में लालकृष्ण आडवाणी बने सबसे बड़ा चेहरा
Feb 03, 2024 13:23
Feb 03, 2024 13:23
रथयात्रा के जरिए जन-जन तक पहुंचे आडवाणी
अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए यह लहर जन-जन तक पहुंचाने का काम आडवाणी ने अपनी रथयात्रा की बदौलत किया। आपको बता दें कि 1990 में गुजरात के सोमनाथ से शुरू हुई उनकी रथयात्रा को भले ही बीच में ही बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रोक ली हो, लेकिन इसके बदौलत भाजपा 1991 के चुनाव में 120 सीटें जीतने में सफल रही।
राम मंदिर निर्माण का संकल्प कभी पीछे नहीं छूटा
1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय खुद मंच पर उपस्थित थे, इसी कारण सीबीआई ने आपराधिक साजिश में उन्हें आरोपी बनाया। बाबरी मस्जिद विध्वंस की निंदा करते हुए भी आडवाणी ने कभी भी राम मंदिर निर्माण के संकल्प को पीछे नहीं छूटने दिया, बल्कि इसे बाकायदा भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा बना दिया और 1996 में भाजपा लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई।
आडवाणी की बनी कट्टर हिंदूवादी छवि
भाजपा के असली संगठनकर्ता होने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी जानते थे कि उनकी कट्टर हिंदूवादी छवि के कारण पार्टी को संसद में सहयोगी जुटाना आसान नहीं होगा और पार्टी ने नरमपंथी अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में आगे किया। लेकिन राजग सरकार में हमेशा नंबर दो पर रहे और बाद में उप प्रधानमंत्री भी बने।
2009 के बाद पार्टी पर पकड़ ढीली हुई
उनके खिलाफ पार्टी के अंदर ही विरोध फूट पड़ा था। इसके बावजूद आडवाणी पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत रखने और राजग से मुख्य सहयोगियों को एकजुट रखने में सफल रहे। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में 2004 से बड़ी हार के बाद आडवाणी की पार्टी पर पकड़ ढीली पड़ने लगी। पर यह सच है कि जब भी भाजपा की जीवन यात्रा का वर्णन होगा तो आडवाणी शीर्ष पुरुषों में शामिल होंगे।
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