सुप्रीम कोर्ट में बैलेट पेपर पर सुनवाई : वकील ने दिया जर्मनी का उदाहरण तो कोर्ट ने कहा - 60 करोड़ वोटरों की गिनती संभव नहीं

वकील ने दिया जर्मनी का उदाहरण तो कोर्ट ने कहा - 60 करोड़ वोटरों की गिनती संभव नहीं
UPT | सुप्रीम कोर्ट

Apr 16, 2024 17:54

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना ने EVM को हटाने की याचिका के पक्ष में अपनी बात रख रहे प्रशांत भूषण से पूछा कि अब आप क्या चाहते हैं? जिसके जवाब में

Apr 16, 2024 17:54

Short Highlights
  • पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है : जस्टिस दीपांकर दत्ता
  • बैलेट पेपर से वोटिंग कराने से कई प्रकार के नुकसान हैं : कोर्ट
National News : एक तरफ पूरे देश में लोकसभा चुनाव को लेकर शोर है तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में बैलेट पेपर से चुनाव कराने को लेकर बहस चल रहा है। एडीआर की ओर से दाखिल अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है। एडीआर की ओर से वकील प्रशांत भूषण कोर्ट में पेश हो रहे हैं। चुनाव में EVM की जगह मतपत्रों से चुनाव कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी बहस के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलेट पेपर से वोटिंग कराने से कई प्रकार के नुकसान है। कोर्ट में बैलेट पेपर के पक्ष में वकील प्रशांत भूषण पक्ष रख रहे हैं।

कोर्ट ने वकील से पूछा राय 
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना ने EVM को हटाने की याचिका के पक्ष में अपनी बात रख रहे प्रशांत भूषण से पूछा कि अब आप क्या चाहते हैं? जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि पहले तो बैलेट पेपर पर वापस जाएं। दूसरा फिलहाल 100 फीसदी VVPAT मिलान हो। जिसपर अदालत ने कहा कि देश में 98 करोड़ वोटर हैं और आपका मानना है कि 60 करोड़ वोटों की गिनती हो।

वकीलों की मांग क्या है ?
वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में मांग रखी कि बैलेट से वोट देने का अधिकार दिया जा सकता है या वीवीपैट में जो पर्ची है उसे मतदाताओं को दिया जाए। साथ ही वीवीपैट की जो पर्ची है उसे एक बैलेट बॉक्स मे डाल दे। अभी जो वीवीपैट की पर्ची है ट्रांसपेरेंट नहीं है। सिर्फ सात सेकेंड के लिए पर्ची वोटर को दिखाई देती है। इसलिए इसे वोटर को देने पर विचार किया जाये।

वीवीपैट की गिनती में लगेंगे कई दिन 
एक वकील ने कोर्ट में यह मांग रखी कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से होना चाहिए। जिसपर जस्टिस खन्ना ने सवाल पूछा कि क्या 60 करोड़ वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए? जिस पर दूसरे वकील ने कहा कि अगर ऐसा करते हैं तो चुनाव आयोग का कहना है कि सभी पर्चियों को गिनने में तकरीबन 12 दिन का समय लगेगा।

जर्मनी के उदाहरण पर बिफरा कोर्ट 
जब कोर्ट में यह उदाहरण दिया गया कि जर्मनी में बैलेट पेपर से चुनाव कराए जा रहे हैं तो इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है। यह हमारे देश में कैसे संभव हो सकता है। हमें किसी पर भरोसा और विश्वास रखना होगा। इस तरह से व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश मत करिए। जर्मनी या यूरोपीय देशों के उदाहरण यहां नहीं चल सकते। हमारा देश बहुत बड़ा है। इस मामले में अब सुनवाई 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में होगी।

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