सोनम वांगचुक की मांगें पूरी होंगी : लद्दाख के हित के लिए अनशन 16 दिन बाद खत्म, अखिलेश समेत इन नेताओं ने किया था समर्थन

लद्दाख के हित के लिए अनशन 16 दिन बाद खत्म, अखिलेश समेत इन नेताओं ने किया था समर्थन
UPT | सोनम वांगचुक

Oct 22, 2024 11:40

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने केंद्र सरकार से सकारात्मक संकेत मिलने के बाद अनशन समाप्त कर दिया है। सोनम वांगचुक के इस अनशन का समर्थन अखिलेश समेत कई नेताओं ने किया। 

Oct 22, 2024 11:40

National News : प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लद्दाख की मांगों पर केंद्र सरकार से सकारात्मक संकेत मिलने के बाद अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त कर दिया है। वांगचुक और उनके समर्थक लद्दाख के मुद्दों को लेकर 6 अक्टूबर से दिल्ली स्थित लद्दाख भवन में अनशन पर थे। उनका मुख्य उद्देश्य लद्दाख के विशेष संवैधानिक अधिकारों की बहाली और स्थायी संरक्षण के लिए सरकार पर दबाव बनाना था। सोमवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे ने अनशन कर रहे वांगचुक और अन्य कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उन्हें गृह मंत्रालय का एक पत्र सौंपा। पत्र में कहा गया है कि लद्दाख की समस्याओं और मांगों पर चर्चा के लिए मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अगली बैठक 3 दिसंबर को होगी। इसके बाद वांगचुक ने अपने समर्थकों के साथ अनशन समाप्त करने का निर्णय लिया। सोनम वांगचुक के इस अनशन का अखिलेश समेत कई नेताओं ने समर्थन किया।

गृह मंत्रालय से सकारात्मक संकेत
सोनम वांगचुक ने अनशन समाप्त करने के बाद खुशी जाहिर की और कहा कि हमारे आंदोलन के 16वें दिन यह बड़ी सफलता है। हमें गृह मंत्रालय से आश्वासन मिला है कि 3 दिसंबर को लद्दाख के मुद्दों पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक होगी। यह हमारे आंदोलन की मुख्य मांग थी और इसका समाधान एक सुखद संकेत है। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह बैठक लद्दाख के लिए सकारात्मक परिणाम लाएगी और उन्हें भविष्य में फिर से अनशन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वांगचुक का अनशन लद्दाख के विशेष संवैधानिक अधिकारों और स्थायी सुरक्षा के लिए था। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से वहां के लोग अपने क्षेत्र की विशिष्ट पहचान और संसाधनों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। वांगचुक और अन्य नेताओं का मानना ​​है कि लद्दाख की संवैधानिक सुरक्षा जरूरी है ताकि वहां की संस्कृति, पर्यावरण और संसाधनों की रक्षा की जा सके।

लद्दाख के मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद
वांगचुक ने यह भी कहा कि लद्दाख की सर्वोच्च संस्था लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के बीच केंद्र सरकार के साथ बातचीत को पुनः शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बातचीत का परिणाम न केवल लद्दाख बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस बार बातचीत सकारात्मक रहेगी और लद्दाख के लोगों की मांगें जल्द ही पूरी होंगी।

इन नेताओं ने किया था अनशन का समर्थन 
अखिलेश यादव ने कहा कि लद्दाख के मुद्दे को बड़े चश्मे से देखने की ज़रूरत है। इसके लिए उठ रही आवाज़ों को दबाना, देश के लिए चुनौती बन रही एक बड़ी दख़लंदाज़ी से मुंह मोड़ना है।  मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सत्ता के नशे में चूर मोदी सरकार ने कायरतापूर्ण कार्रवाई है। मोदी सरकार अपने मित्रों को लाभ पहुंचाना चाह रहे हैं। यह घटना हमें बताती है कि मोदी सरकार के खिलाफ हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। आतिशी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि लद्दाख के लोग राज्य का दर्जा चाहते हैं। यह भाजपा की तानाशाही है। हम सोनम वांगचुक का पूरा समर्थन करते हैं। अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना सधाते हुए कहा कि दिल्ली में आने से कभी किसानों को रोकते हैं कभी लद्दाख के लोगों को रोकते हैं। क्या दिल्ली किसी एक शख्स की बपौती है। दिल्ली देश की राजधानी है। दिल्ली में आने का सब को अधिकार है।  राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी जी, किसानों की तरह यह ‘चक्रव्यूह’ और आपका अहंकार भी टूटेगा।
कौन है सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक एक प्रसिद्ध भारतीय शिक्षाविद्, जलवायु कार्यकर्ता, समाज सुधारक और इंजीनियर हैं। वह लेह, लद्दाख के एक छोटे से गांव उलेतोकपो से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म 1 सितंबर 1966 को लेह जिले के अलची के पास हुआ था। उनके पिता सोनम वांग्याल कांग्रेस नेता थे, जो बाद में राज्य सरकार में मंत्री भी बने। जानकारी के मुताबिक, वांगचुक को 9 साल की उम्र तक किसी स्कूल में दाखिला नहीं दिलाया गया था। क्योंकि उनके गांव में कोई स्कूल नहीं था। ऐसे में उनकी मां ने उन्हें अपनी मातृभाषा में बुनियादी शिक्षा दिलाई। नौ साल की उम्र में उनका दाखिला श्रीनगर के एक स्कूल में करा दिया गया। जहां उन्हें दूसरी भाषाएं समझने में दिक्कत होती थी और ऐसे में लोग उन्हें मूर्ख समझने लगे थे।

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