कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के घर को केवल इस आधार पर गिराना कि वह अभियुक्त है, असंवैधानिक है। अदालत ने इस तरह की कार्रवाई को कानून के शासन और नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन माना...
आरोपी का घर तोड़ना कानून के शासन का उल्लंघन : बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश, बताए 10 अहम नियम
Nov 13, 2024 21:04
Nov 13, 2024 21:04
- बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- किसी के घर को गिराना बताया असंवैधानिक
- बुलडोजर एक्शन को लेकर दिए निर्देश
आरोपों पर फैसला न्यायपालिका का काम
दरअसल, देश में बुलडोजर एक्शन काफी विवादों में रहा है, बुधवार को इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बुलडोजर से की जा रही कार्रवाई असंवैधानिक है। अदालत ने कहा है कि किसी व्यक्ति का घर केवल इसलिए नहीं गिराया जा सकता है कि उस पर कोई आरोप लगा है। अदालत ने कहा कि आरोपों पर फैसला न्यायपालिका का काम है कार्यपालिका का नहीं। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि अपराध की सजा बुलडोजर कार्रवाई नहीं है। आइये जानते हैं कि बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कुछ कहा है।
SC की टिप्पणी 10 अहम बिंदुओं में
- कोर्ट ने कहा अपराध की सजा के तौर पर किसी का घर नहीं तोड़ा जा सकता है।
- आरोपी केवल एक है, इसकी सजा पूरे परिवार को नहीं दी जा सकती है।
- मकान केवल एक संपत्ति नहीं है, यह परिवार के लिए आश्रय है।
- दोषी के खिलाफ मनमनानी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
- गलत कार्रवाई पर पीड़ित को मुआवजा दिया जा सकता है।
- ध्वस्तीकरण से पहले 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए। मकान के बाहर नोटिस चस्पा किया जाना चाहिए और मकान मालिक को सुनवाई का मौका मिलना चाहिए।
- मनमाने तरीके से किसी पर बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
- बुलडोजर एक्शन आशियाने के अधिकार का उल्लंघन होगा।
- कोई और विकल्प न होने पर ही बुलडोजर कार्रवाई की जाए।
- सरकारी अफसर जो मनमानी करते हैं, उनके खिलाफ एक्शन लिया जाए। अफसरों को अपने खर्च पर घर बनवाना होगा।
सत्ता के मनमाने प्रयोग की इजाजत नहीं
गौरतलब है कि अदालत ने सभी पक्षों सुनने के बाद ही ये आदेश जारी किए हैं। अदालत ने कहा कि हमने संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों पर विचार किया है। यह व्यक्तियों को राज्य की मनमानी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करते हैं। अदालत ने कहा कि सत्ता के मनमाने प्रयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
किसी का घर उसकी उम्मीद होती है- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के घर को केवल इस आधार पर नहीं गिराया जा सकता कि उस पर कोई अपराध का आरोप है। कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन शामिल थे, ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी। जस्टिस गवई ने अपने फैसले में कहा कि हर व्यक्ति का घर उसकी सुरक्षा और उम्मीद का प्रतीक होता है। हर किसी का सपना होता है कि उसका आश्रय कभी न छिनें। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि आरोपों के आधार पर किसी का घर गिराना उचित नहीं है और आरोपों की सच्चाई का फैसला केवल न्यायपालिका ही करेगी।
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