बुधवार (6 नवंबर 2024) को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, "यह पूरी तरह से मनमानी है। आप रातों-रात बुलडोजर लेकर घर नहीं तोड़ सकते। आप परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देते। घर का सामान क्या होगा? उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए...."
सुप्रीम कोर्ट की यूपी सरकार को फटकार : कहा- बुलडोजर एक्शन है मनमानी, 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी दिया निर्देश
Nov 06, 2024 18:49
Nov 06, 2024 18:49
सुप्रीम कोर्ट की फटकार
बुधवार (6 नवंबर 2024) को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, "यह पूरी तरह से मनमानी है। आप रातों-रात बुलडोजर लेकर घर नहीं तोड़ सकते। आप परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देते। घर का सामान क्या होगा? उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।"
चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, "आप इस तरह से लोगों के घरों को कैसे ध्वस्त करना शुरू कर सकते हैं? किसी के घर में घुसकर बिना नोटिस के उसे गिरा देना, यह अराजकता है।" कोर्ट ने आगे कहा, "आप केवल ढोल बजाकर लोगों से घर खाली करने और उन्हें ध्वस्त करने का आदेश नहीं दे सकते।" अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि वह प्रभावित परिवारों को 25 लाख रुपये का मुआवजा दे।
सड़क चौड़ीकरण से जुड़ा है मामला
यह मामला दरअसल 2019 का है, जब महाराजगंज जिले में प्रशासन ने सड़कों के चौड़ीकरण के लिए कई घरों पर बुलडोजर चलाया था। याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले की विस्तृत जांच की मांग की थी। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि इस मामले की गहराई से जांच की जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है जो NHAI द्वारा निर्धारित चौड़ाई और अतिक्रमण को स्पष्ट रूप से दर्शाता हो।
कोर्ट का कड़ा रुख
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता ने 3.7 वर्ग मीटर का अतिक्रमण किया था। इस पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, "आप लोगों के घरों को इस तरह से पूरी तरह से कैसे तोड़ सकते हैं? बिना नोटिस के किसी के घर में घुसकर उसे गिरा देना गैरकानूनी है।"
123 घरों और अन्य निर्माणों पर चला था बुलडोजर
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में बताया कि आसपास के 123 अन्य मकान और निर्माण भी ध्वस्त किए गए थे। प्रशासन ने लोगों को केवल सार्वजनिक अनाउंसमेंट के जरिए सूचना दी थी। इस पर कोर्ट ने हैरानी जताते हुए इसे पूरी तरह से मनमाना विध्वंस करार दिया और कहा कि यह प्रक्रिया बिना किसी नियम के पूरी की गई थी।
पीली लकीर खींचकर प्रशासन ने किया घर का विध्वंस
याचिकाकर्ता के अनुसार, NHAI और जिला प्रशासन ने बिना नोटिस के उनके घर की 3.7 मीटर भूमि पर पीली लकीर खींच दी, जिससे यह हिस्सा हाईवे का हिस्सा बन गया। याचिकाकर्ता ने अपनी तरफ से उस हिस्से को ध्वस्त करा दिया था, लेकिन इसके बाद मात्र डेढ़ घंटे में पुलिस और प्रशासन ने मुनादी की औपचारिकता के बाद पूरी बिल्डिंग बुलडोजर से ध्वस्त कर दी। घरवालों को सामान निकालने तक का समय नहीं दिया गया। कोर्ट ने इस अवैध विध्वंस के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। यह मुआवजा अंतरिम प्रकृति का होगा, जिसका मतलब है कि यह मुआवजा याचिकाकर्ता को किसी अन्य कानूनी कार्रवाई करने से नहीं रोक सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच करें। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार अवैध कृत्यों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
इस खबर को भी पढ़ें- यमुना किनारे नहीं मना सकेंगे छठ : प्रतिबंध बरकरार, जहरीले पानी को देखते हुए हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
Also Read
6 Nov 2024 07:19 PM
पीएम के ट्वीट अकाउंट पर पीएम नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख व्यक्त किया और इस घटना को "हृदय विदारक" बताया। प्रधानमंत्री ने आगे कहा -"उत्तर प्रदेश के हरदोई में हुआ सड़क हादसा दिल दहला देने वाला है... और पढ़ें