दिव्यांग छात्र MBBS की पढ़ाई से नहीं होंगे वंचित : सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, कहा- किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, कहा- किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता
UPT | दिव्यांग छात्र MBBS की पढ़ाई से नहीं होंगे वंचित

Oct 15, 2024 18:22

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है जिसमें कहा गया है कि 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता के चलते किसी भी छात्र को मेडिकल की पढ़ाई से वंचित नहीं किया जा सकता।

Oct 15, 2024 18:22

Short Highlights
  • दिव्यांग छात्र MBBS से नहीं होंगे वंचित
  • सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
  • बोर्ड को बताना पड़ेगा आधार
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है जिसमें कहा गया है कि 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता के चलते किसी भी छात्र को मेडिकल की पढ़ाई से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस बीआर गवई और उनके सहयोगियों ने यह स्पष्ट किया कि सिर्फ दिव्यांगता के प्रतिशत के आधार पर किसी छात्र की योग्यता का मूल्यांकन करना उचित नहीं है। इसके बजाय, यह जरूरी है कि संबंधित मेडिकल बोर्ड यह तय करे कि क्या दिव्यांगता छात्र की पढ़ाई को प्रभावित कर रही है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि महज दिव्यांगता के आधार पर किसी छात्र को अयोग्य ठहराना भेदभावपूर्ण हो सकता है।

बोर्ड को बताना पड़ेगा आधार
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विकलांगता मूल्यांकन बोर्ड की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया है। अदालत ने निर्देश दिया कि यह बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि कोई छात्र अपनी चिकित्सा शिक्षा को बिना किसी रुकावट के जारी रख सकता है या नहीं। यदि बोर्ड यह निष्कर्ष निकालता है कि दिव्यांगता के कारण छात्र पढ़ाई पूरी नहीं कर सकेगा, तभी उसे दाखिले से रोका जा सकता है। साथ ही बोर्ड को इसके लिए स्पष्ट आधार भी बताना पड़ेगा।



कानून में संशोधन की आवश्यकता
इस निर्णय के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल मेडिकल काउंसिल के नियमों में संशोधन की आवश्यकता को भी उजागर किया है। वर्तमान में, 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल सकता, जो कि एक समस्या है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह दृष्टिकोण उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराने के बजाय उनके लिए अवसर प्रदान करने पर आधारित होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया, जिससे दिव्यांग छात्रों को चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने के लिए बराबरी का मौका मिल सके।

छात्र की याचिका पर सुनाया फैसला
कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का अधिकार सभी के लिए है, और किसी भी छात्र को उसकी विकलांगता के कारण वंचित नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने ये फैसला याचिकाकर्ता ओमकार से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए दिया। छात्र ने स्नातक चिकित्सा शिक्षा विनिमय, 1997 कानून को चुनौती दी थी। इस दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय, अधिवक्ता सुधाकर कुलवंत, यशराज बुंदेला, कार्तिकेय अस्थाना और एन विशाकामूर्ति के साथ केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए।

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