NCPCR के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक : मदरसा छात्रों को सरकारी स्कूल भेजने की प्रक्रिया स्थगित, जमीयत ने दायर की थी याचिका

मदरसा छात्रों को सरकारी स्कूल भेजने की प्रक्रिया स्थगित, जमीयत ने दायर की थी याचिका
UPT | सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR के फैसले पर लगाई रोक

Oct 21, 2024 15:49

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने के आदेश पर रोक लगा दी है।

Oct 21, 2024 15:49

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मदरसों से गैर-मुस्लिम छात्रों को हटाने के फैसले पर भी फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह फैसला राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिशों के आधार पर उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकारों द्वारा जारी किए गए आदेशों के खिलाफ आया है।

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जमीयत उलमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका
इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि एनसीपीसीआर द्वारा किए गए संचार और कुछ राज्यों की कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और अंतरिम राहत दी। पीठ ने यह भी कहा कि अन्य राज्यों को भी इस मामले में पक्षकार बनाने की अनुमति दी जाती है।



एनसीपीसीआर की रिपोर्ट और सरकार का आदेश
उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार ने एनसीपीसीआर की रिपोर्ट के आधार पर आदेश जारी किए थे, जिसमें कहा गया था कि जो मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 का पालन नहीं कर रहे हैं, उनकी मान्यता रद्द की जानी चाहिए। इसके अलावा, रिपोर्ट में मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में भेजने की सिफारिश की गई थी। एनसीपीसीआर ने यह भी सुझाव दिया था कि मदरसों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग तब तक बंद कर दी जाए, जब तक वे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करते।

विपक्ष का विरोध और एनसीपीसीआर की सफाई
एनसीपीसीआर की रिपोर्ट पर विपक्ष ने भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला था। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस कदम को अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने वाला बताया था। वहीं, एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मदरसों को बंद करने की बात नहीं कही थी, बल्कि उन्होंने केवल उन मदरसों की सरकारी फंडिंग रोकने की सिफारिश की थी, जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम का अनुपालन नहीं कर रहे हैं और गरीब मुस्लिम बच्चों को उचित शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एनसीपीसीआर के 7 जून और 25 जून को जारी किए गए संचार और उसके आधार पर उठाए गए सभी कदमों पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्यों द्वारा जारी परिणामी आदेशों पर भी रोक लगा दी है, जिससे फिलहाल मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया नहीं चलेगी। न्यायालय ने आगे की सुनवाई तक इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। 

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