पुलिसवालों ने पीसीएस अधिकारी मधुमिता सिंह की गाड़ी जिस पर नीली बत्ती लगी हुई है, को रोकवाकर बत्ती उतरवा दी। इस पर डीएम ने नाराजगी जाहिर करते हुए एसपी को कहा और एसपी द्वारा दोनों पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करते हुए लाइन हाजिर कर दिया गया।
गाड़ी से उतर जाएगी लाल बत्ती, दिमाग से नहीं : मुख्यमंत्री ने कहा- VIP कल्चर खत्म हो, अधिकारी बोलें- I Hate It
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Jun 21, 2024 20:03
Jun 21, 2024 20:03
- पीसीएस की गाड़ी से उतरी नीली बत्ती
- एसपी ने दरोगा को कर दिया लाइन हाजिर
- पीसीएस अधिकारी हैं मधुमिता सिंह
बारांबकी में वीआईपी पीसीएस अधिकारी
प्रदेश भर में वाहन चेकिंग अभियान चलाकर मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन किया जा रहा है। इसी क्रम में बाराबंकी पुलिस द्वारा चेकिंग की जा रही थी। तभी एक पीसीएस अधिकारी मधुमिता सिंह की गाड़ी वहां से गुजरी, जिस पर नीली बत्ती लगी हुई है। पुलिसवालों ने गाड़ी को रोकवाकर बत्ती उतरवा दी। वाहवाही के लिए पुलिस ने इस घटना का वीडियो भी बना लिया। ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
पुलिस पर कार्रवाई, फिर सफाई
अधिकारी की गाड़ी से नीली बत्ती उतरवाने की खबर सोशल मीडिया पर सुर्खियां बनने लगी। इसके बाद खबर आई कि बत्ती उतरवाने वाले SI और SSI को लाइनहाजिर कर दिया गया है। पता चला कि अधिकारी के अपना परिचय देने के बाद भी पुलिसवालों ने गाड़ी से बत्ती उतरवा दी। इस पर पीसीएस अधिकारी मधुमिता सिंह द्वारा डीएम सत्येंद्र कुमार से मामले की शिकायत की गई। डीएम ने नाराजगी जाहिर करते हुए एसपी को कहा और एसपी द्वारा दोनों पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करते हुए लाइन हाजिर कर दिया गया।
कई सवाल छोड़ गया प्रशासन
पुलिसकर्मियों पर एसपी की कार्रवाई और प्रशासन द्वारा जारी प्रेस रिलीज के बाद कई सवाल हैं, जिनके जवाब अभी भी मिलने बाकी हैं। पहला सवाल तो ये है कि प्रेस रिलीज में इस बात का खंडन किया गया है कि बाराबंकी में दिव्या सिंह नाम की कोई आईएएस अधिकारी नहीं हैं। लेकिन ये नहीं बताया गया है कि गाड़ी पीसीएम अधिकारी मधुमिता सिंह की है या नहीं। वहीं प्रेस रिलीज में कहा गया कि गाड़ी में उस समय कोई अधिकारी मौजूद नहीं था, लेकिन वीडियो में देखा जा सकता है कि कोई महिला गाड़ी में मौजूद हैं। एक मौजूं सवाल ये भी कि मुख्यमंत्री जब प्रदेश में वीआईपी कल्चर खत्म करने की बात करते हैं, तो क्या इसमें पीसीएस अधिकारियों को छूट दी जाने की बात भी निहित है?
क्या बोले बाराबंकी के कप्तान?
उत्तर प्रदेश टाइम्स ने जब इस मामले पर बाराबंकी के एसपी दिनेश कुमार सिंह से बात की, तो उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण ये है कि चेकिंग किस प्वाइंट की लगाई गई थी। टास्क ये दिया गया था कि अपराधियों, उचक्कों, असामाजिक तत्वों, माफियाओं और उदंडता करने वालों पर कार्रवाई की जाए। इसका मतलब ये नहीं कि अधिकारियों की गाड़ी रोकने पर जुट जाओ। दरोगा ने वहां एक चालान तक नहीं किया, उल्टा बदतमीजी की। मुख्यमंत्री का निर्देश था कि हूटर लगाकर दहशत पैदा करने वालों पर कार्रवाई की जाए।
कौन हैं मधुमिता सिंह?
जानकारी के मुताबिक मधुमिता सिंह मूल रूप से प्रतापगढ़ की रहने वाली हैं। उनके पिता बालेंदु भूषण सिंह रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हैं। मधुमिता सिंह की प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में ही हुई है। उनके मामा भी आईपीएस हैं। मधुमिता की वर्तमान तैनाती बाराबंकी जिले के रामनगर तहसील में ज्वाइंट मैजिस्ट्रेट न्यायिक के पद पर है। वह इसके पहले बुलंदशहर में भी डिप्टी कलेक्टर रह चुकी हैं।
कब शुरू हुआ भारत में वीआईपी कल्चर?
वैसे तो ये ठीक-ठीक बता पाना संभव नहीं है कि भारत में वीआईपी कल्चर की शुरुआत कब हुई। लेकिन कहते हैं कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू कभी लाव-लश्कर के साथ नहीं चले। उनके पीछे केवल एक सुरक्षाकर्मी मोटर साइकिल पर सवार होकर चलता था। इंदिरा गांधी के पीछे भी केवल एक अतिरिक्त कार चलती थी। हालांकि इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी के जमाने में सुरक्षा व्यवस्था काफी मजबूत कर दी गई थी। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में कुल वीआईपी की संख्या 5 लाख 79 हज़ार से ऊपर है जबकि ब्रिटेन में सिर्फ़ 84, फ़्रांस में 109 और चीन में मात्र 425 वीआईपी हैं।
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