दुनियाभर में ठप पड़े Windows के सर्वर : जिसने रोक दिए बैंक, एयरलाइन्स तक के काम, आखिर कैसे हुई थी उस Microsoft कंपनी की शुरुआत?

जिसने रोक दिए बैंक, एयरलाइन्स तक के काम, आखिर कैसे हुई थी उस Microsoft कंपनी की शुरुआत?
UPT | दुनियाभर में ठप पड़े Windows के सर्वर

Jul 19, 2024 14:06

भारत समेत पूरी दुनिया में माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर ठप पड़ गए हैं। हालात इतने बदतर हैं कि दुनियाभर में बैंकिग और विमान सेवाएं तो प्रभावित हुई हैं ही, स्टॉक एक्सचेंज और टिकट बुकिंग पर भी असर पड़ा है।

Jul 19, 2024 14:06

Short Highlights
  • दुनियाभर में ठप पड़े Windows के सर्वर
  • स्टॉक एक्सचेंज और टिकट बुकिंग पर असर
  • बैंकिग और विमान सेवाएं भी प्रभावित
New Delhi : भारत समेत पूरी दुनिया में माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर ठप पड़ गए हैं। हालात इतने बदतर हैं कि दुनियाभर में बैंकिग और विमान सेवाएं तो प्रभावित हुई हैं ही, स्टॉक एक्सचेंज और टिकट बुकिंग पर भी असर पड़ा है। बताया जा रहा है कि साइबर सिक्योरिटी प्लेटफॉर्म क्राउडस्ट्राइक में दिक्कत की वजह से सेवाएं प्रभावित हुई हैं। लेकिन जिस एक कंपनी से सर्वर में दिक्कत आने से पूरी दुनिया थम सी गई है, क्या आपको पता है कि उसकी शुरुआत कैसे हुई? अगर नहीं, तो चलिए आपको बताते हैं...

एक विज्ञापन से आया ख्याल
दरअसल बिल गेट्स और पॉल एलन दो जिग्री दोस्त थे। 1974 की बात है। एक मैगजीन में माइक्रोकम्प्यूटर का विज्ञापन छपा था। इस मैगजीन को देखते ही पॉल एलन ने खरीद लिया और हार्वर्ड पहुंचकर अपने साथी बिल गेट्स को दिखाया। दोनों के दिमाग में एक बेसिक सिस्टम बनाने का ख्याल आया। इसके बाद बिल गेट्स ने सिस्टम का प्रेजेंटेशन दिखाने के लिए कम्प्यूटर बनाने वाली कंपनी को फोन किया। कंपनी ने कहा कि दोनों पहले एक इंटरप्रेटर बना लें, उसके बाद संपर्क करें। इंटरप्रेटर बनाने के लिए 8 सप्ताह का समय भी मिला।

इंटरप्रेटर क्या होता है?
आगे बढ़ने से पहले समझ लीजिए कि आखिर ये इंटरप्रेटर क्या होता है। दरअसल हम यूजर के तौर पर हाई लेवल लैंग्वेज का प्रयोग करते हैं। लेकिन कंप्यूटर इसे समझ नहीं पाता। इस कारण कंप्यूटर के लिए मशीन कोड का इस्तेमाल करना पड़ता है। लेकिन दिक्कत ये है कि कंप्यूटर का मशीन कोड इंसान नहीं समझ सकते। अब जो सॉफ्टवेयर हाई लेवल लैंग्वेज को मशीन कोड में बदलते हैं, उसे ट्रांसलेटर कहते हैं। ये ट्रांसलेटर दो तरह के होते हैं- कंपाइलर और इंटरप्रेटर। इन दोनों का काम एक ही होता है, लेकिन काम करने के तरीके में थोड़ा फर्क होता है।

अब आगे की कहानी सुनिए
बिल गेट्स और पॉल एलन ने इस चुनौती को अवसर के रूप में लिया और इंटरप्रेटर बनाकर कंपनी को दिखा दिया। कंपनी को दोनों का काम काफी पसंद आया और उन्हें सिस्टम डेवलप करने का ऑर्डर मिल गया। यही दोनों की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट था। इस तरह माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की शुरुआत हुई। माइक्रोसॉफ्ट नाम भी काफी सोच-समझकर रखा गया है। माइक्रोप्रोसेसर के माइक्रो और सॉफ्टवेयर के सॉफ्ट को मिलाकर माइक्रोसॉफ्ट नाम मिला। कंपनी ने एक के बाद एक कई प्रोडक्ट लॉन्च किए और दुनियाभर के कंप्यूटरों में माइक्रोसॉफ्ट एक अहम कड़ी है।

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