मुंह तक निवाला ले जाने वाले हाथों को भी कर सकेंगे दान : नियमों में बड़ा बदलाव, जानें क्या होगी प्रक्रिया...

नियमों में बड़ा बदलाव, जानें क्या होगी प्रक्रिया...
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Jul 25, 2024 10:39

भारत में हाथों के प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, जिसमें देश के सभी अस्पतालों को नोटो के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने आदेश जारी किया...

Jul 25, 2024 10:39

New Delhi News : भारत में हाथों के प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, जिसमें देश के सभी अस्पतालों को नोटो के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने आदेश जारी किया है। डॉ. कुमार ने बताया कि फेफड़े, पेनक्रियाज, किडनी, हार्ट, टिश्यू राष्ट्रीय रजिस्ट्री का हिस्सा हैं लेकिन हाथों के प्रत्यारोपण को शामिल नहीं किया गया है।

बोन ऑफ टिश्यू सेक्शन में कराना होगा पंजीयन
भारत में 2014 से हाथों का प्रत्यारोपण चल रहा है, लेकिन इसके लिए चिकित्सा संस्थानों को रजिस्ट्री में पंजीयन करवाना जरूरी होगा। डॉ. कुमार ने कहा कि इस प्रक्रिया के माध्यम से जरूरतमंद मरीजों के लिए समय रहते हाथों को उपलब्ध कराया जा सकेगा। इसके लिए सभी चिकित्सा संस्थानों को बोन ऑफ टिश्यू सेक्शन में जाकर पंजीयन कराना होगा, जिसमें मरीज और दाता दोनों की जानकारी उपलब्ध होगी। इस प्रक्रिया से अस्पतालों में वेटिंग के हिसाब से दातों के उपयोग को भी बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सकेगा। डॉ. अनिल कुमार ने समय रहते और विशेष जरूरतमंद मरीजों के लिए यह नई पहल को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

100 से अधिक प्रत्यारोपण किए गए हाथ
2014 में कोच्चि स्थित अमृता अस्पताल ने पहले हाथ प्रत्यारोपण के बाद से अब तक करीब 100 से अधिक प्रत्यारोपण किए गए हैं। इस प्रक्रिया में प्राथमिक चिकित्सा देखभाल को मुख्यतः अस्पतालों के ऊपर निर्भर किया गया है। सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर महेश मंगल ने बताया कि अंगदान होने पर उनके टीम द्वारा एक सूची तैयार की जाती है जिसमें जरूरतमंदों की विशेष जानकारी शामिल होती है। इसके बाद ये अंग श्रेणीबद्ध रूप से राष्ट्रीय स्तर तक उपलब्ध कराए जाते हैं। इस प्रक्रिया में अंगदान की मात्रा और अंगों की उपलब्धता के लिए नोटों की निगरानी होती है। लेकिन हाथ प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में ऐसी निगरानी नहीं होती है। इस तरह, अभी तक अस्पतालों पर निर्भरता बनी हुई है।

हाथों की अहमियत को नहीं समझते अस्पताल 
बता दें कि डॉ. महेश का कहना है कि अभी तक देश के ज्यादातर अस्पतालों को हाथों की अहमियत के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं है। जब भी अंगदान होता है तो उनकी टीम की पहली प्राथमिकता किडनी, दिल, लिवर या फेफड़े पर रहती है, जबकि यह टीम दाता के हाथों का भी इस्तेमाल कर सकती है। रजिस्ट्री में शामिल होने के बाद जब इन अस्पतालों में वेटिंग लिस्ट बढ़ेगी और राष्ट्रीय स्तर पर इन्हें उपलब्ध कराया जाएगा तब चिकित्सा क्षेत्र में भी इस प्रक्रिया को लेकर जागरूकता आएगी।

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