अब्दुल्ला आजम फर्जी पासपोर्ट मामले में नया मोड़ : विधायक आकाश सक्सेना को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

विधायक आकाश सक्सेना को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Aug 01, 2024 13:10

उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक परिवार से जुड़े एक विवादास्पद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ सपा नेता मोहम्मद...

Aug 01, 2024 13:10

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक परिवार से जुड़े एक विवादास्पद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ सपा नेता मोहम्मद आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां के फर्जी पासपोर्ट मामले में शिकायतकर्ता विधायक आकाश सक्सेना को नोटिस जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्र ने अब्दुल्ला आजम की याचिका पर दिया है। याचिका में विशेष अदालत रामपुर के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें अब्दुल्ला आजम के पासपोर्ट की सत्यता के पक्ष में सबूत पेश करने की अनुमति को निरस्त कर दिया गया था।

आकाश सक्सेना को नोटिस जारी
इससे पहले कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम की याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया था, लेकिन शिकायतकर्ता को पक्षकार न बनाने के कारण फैसला टाल दिया गया। कोर्ट ने शिकायतकर्ता को पक्षकार बनाने की याचिकाकर्ता की अर्जी स्वीकार करते हुए आकाश सक्सेना को नोटिस जारी किया और कहा कि यदि शिकायतकर्ता को पक्षकार नहीं बनाया गया तो याचिका पोषणीय नहीं होगी।

आदेश को दी चुनौती 
पूर्व विधायक अब्दुल्ला ने रामपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सांसद विधायक) के 19 मार्च 2024 के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनके पासपोर्ट की वास्तविकता पर सवाल खड़ा करने के आपराधिक मामले में बचाव संबंधी कुछ साक्ष्य प्रस्तुत करने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया गया था। इससे पूर्व, 18 जुलाई को उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में निर्णय सुरक्षित कर लिया गया था, लेकिन अदालत के संज्ञान में यह बात आई कि इस मामले में सूचनादाता आकाश सक्सेना को पक्षकार नहीं बनाया गया था। इस बीच, याचिकाकर्ता के वकील ने आकाश सक्सेना को पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए एक आवेदन दाखिल किया।

अदालत ने किया आवेदन स्वीकार 
अदालत ने बुधवार को आवेदन स्वीकार करते हुए कहा, “याचिकाकर्ता के वकील द्वारा पक्षकार बनाने की प्रार्थना आवश्यक है क्योंकि सूचनादाता की अनुपस्थिति में मौजूदा याचिका पोषणीय (सुनवाई योग्य) नहीं है।”

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