प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. अवनीश पाण्डेय ने बताया कि आयुर्वेद में हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व वायरस और बैक्टीरिया जनित बीमारियों से लड़ने के लिए एक ऐसा रसायन तैयार किया था जिसे स्वर्णप्राशन कहा जाता है।
Pratapgarh News : बीमारी से बचाव के लिए कराया गया स्वर्णप्राशन, शिविर में 85 बच्चों को पिलाई गई दवा
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Jun 11, 2024 01:52
Jun 11, 2024 01:52
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय छितपालगढ़ के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. अवनीश पाण्डेय ने बताया कि आयुर्वेद में हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व वायरस और बैक्टीरिया जनित बीमारियों से लड़ने के लिए एक ऐसा रसायन तैयार किया था जिसे स्वर्णप्राशन कहा जाता है। इसे शुद्ध स्वर्णभस्म के नैनोपार्टिकल निश्चित अनुपात में गाय के घी व शहद के साथ ड्रॉप के रूप में तैयार किया जाता है। स्वर्णप्रशान बच्चों के लिए बेहद ही लाभदायक होता है। यह उनकी इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ उनकी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने में भी मददगार होता है। इस बात को ध्यान में रखकर ही इस शिविर का आयोजन किया गया था ताकि क्षेत्र के अधिक से अधिक बच्चे इसका लाभ उठा सकें।
पुष्य नक्षत्र में औषधि देने का कोई ज्योतिषी कारण नहीं
उन्होंने बताया कि लखनऊ स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में हुए शोध मे देखा गया है कि स्वर्णप्राशन लेने वाले बच्चे, अन्य बच्चों की तुलना में कम बीमार होते हैं। वरिष्ठ चिकित्सक डा सुरेश शर्मा ने कहा कि स्वर्णप्राशन से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है। पुष्य नक्षत्र में औषधि देने का कोई ज्योतिषी कारण नहीं। जनजागरूकता के लिए विशेष दिन निर्धारित किया है। ऐसे बच्चे जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन्हें हर माह स्वर्णप्राशन कराने के लिए आरोग्य भारती का प्रयास जारी रहेगा।
शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है
क्लिनिक के संचालक एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विभाकर मिश्रा ने बताया एक से सोलह वर्ष तक के बच्चों के बार-बार बीमार होने का कारण उनकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता है। बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है। लंबाई पर असर पड़ता है। इस दवा से बच्चे स्वस्थ, शक्तिशाली और स्मार्ट बनेंगे।
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