इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : विभागीय कार्रवाई के बिना बर्खास्तगी गैरकानूनी, दारोगा का टर्मिनेशन रद्द

विभागीय कार्रवाई के बिना बर्खास्तगी गैरकानूनी, दारोगा का टर्मिनेशन रद्द
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

May 17, 2024 11:46

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार एक दरोगा की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया और उसकी बहाली का आदेश दिया है। यह मामला गौतमबुद्ध नगर...

May 17, 2024 11:46

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार एक दरोगा की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया और उसकी बहाली का आदेश दिया है। यह मामला गौतमबुद्ध नगर जिले के ईकोटेक थाने में तैनात रहे दरोगा गुलाब सिंह से संबंधित है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने गुलाब सिंह की याचिका स्वीकार करते हुए उनकी बर्खास्तगी को रद्द कर दिया और बहाली का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम 8 (2) (बी) के प्रावधानों के तहत आरोपों के संबंध में पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद बगैर विभागीय कार्यवाही के पुलिसकर्मी को बर्खास्त किया जाना गैरकानूनी है।

सार्वजनिक रूप से चार लाख रुपये की ली थी रिश्वत
जानकारी के अनुसार, गुलाब सिंह पर आरोप था कि उन्होंने एक मुकदमे की जांच के दौरान आरोपी राजीव सरदाना से सार्वजनिक रूप से चार लाख रुपये की रिश्वत ली थी। इसी बीच भ्रष्टाचार निरोधक दस्ते ने उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद सूरजपुर थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें जेल भेज दिया गया था। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद 12 मार्च को वह जेल से रिहा हो गए थे।

बिना जांच के किया गया था बर्खास्त
गुलाब सिंह की गिरफ्तारी के दिन ही उन्हें बिना किसी विभागीय जांच के ही बर्खास्त कर दिया गया था। उनकी बर्खास्तगी का कारण यह बताया गया था कि उन्हें सार्वजनिक स्थान पर चार लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है और इस कारण इस मामले में किसी जांच की आवश्यकता नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया कि उपनिरीक्षक द्वारा ऐसे कृत्य से जनमानस में पुलिस विभाग की छवि धूमिल हुई है।

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