इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की लगातार गैरहाजिरी पर सख्त रुख अपनाते हुए इसे शिक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर समस्या बताया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त रुख : शिक्षा व्यवस्था में शिक्षकों की गैरहाजिरी को बताया अभिशाप, प्रमुख सचिव से मांगा जवाब
Oct 30, 2024 13:03
Oct 30, 2024 13:03
कोर्ट ने जताई चिंता
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की अदालत ने मऊ की एक शिक्षिका, द्रौपदी देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याची का वेतन बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) मऊ द्वारा गैरहाजिरी के कारण रोक दिया गया था, जिसे चुनौती देते हुए शिक्षिका ने हाईकोर्ट का रुख किया। बीएसए मऊ की ओर से वकील अर्चना सिंह ने कोर्ट को बताया कि याची का वेतन उसकी गैरहाजिरी की वजह से रोका गया है। इस पर कोर्ट ने अपनी चिंता जताई और कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की अनुपस्थिति शिक्षा के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है और इसे रोकना आवश्यक है।
शिक्षा व्यवस्था के लिए अभिशाप बनी शिक्षकों की गैरहाजिरी
हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देने के लिए शिक्षकों का विद्यालय में नियमित रूप से उपस्थित होना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि गैरहाजिरी की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। कोर्ट ने इसे शिक्षा व्यवस्था के लिए एक "अभिशाप" की संज्ञा दी और निर्देश दिया कि प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा इस पर हलफनामा दायर करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि शिक्षकों की हाजिरी को सुनिश्चित करने के लिए विभाग क्या कदम उठा रहा है।
बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर विवाद और राज्य सरकार का निर्णय
राज्य सरकार ने 8 जुलाई 2024 को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी का आदेश जारी किया था, लेकिन इस पर कई शिक्षकों ने विरोध जताया। इसके बाद सरकार ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर फिलहाल रोक लगा दी और इस मुद्दे को हल करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला किया। समिति को इस पर विचार कर शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव से 26 नवंबर तक मांगा हलफनामा
कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से हलफनामा जमा करने के लिए 26 नवंबर की तिथि निर्धारित की है, जिसमें प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए की गई कार्यवाहियों का ब्यौरा मांगा गया है। कोर्ट का यह आदेश शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि शिक्षकों की अनुपस्थिति सीधे तौर पर छात्रों की शिक्षा पर असर डालती है।
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