इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : वैवाहिक विवादों में न्यायालयों को अपनाना होगा व्यावहारिक रवैया

वैवाहिक विवादों में न्यायालयों को अपनाना होगा व्यावहारिक रवैया
UPT | Allahabad High Court

Aug 02, 2024 15:16

न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अपने निर्णय में कहा कि ऐसे मामलों में, यदि प्राथमिकी और आरोप पत्र से संज्ञेय अपराध का प्रथम दृष्टया साक्ष्य मिलता है, तब भी न्यायालय को शिकायतकर्ता...

Aug 02, 2024 15:16

Short Highlights
  • वैवाहिक विवादों के निपटारे में न्यायालयों द्वारा व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता
  • हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के एक व्यक्ति पंकज की याचिका पर सुनवाई की
Prayagraj News : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में वैवाहिक विवादों के निपटारे में न्यायालयों द्वारा व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अपने निर्णय में कहा कि ऐसे मामलों में, यदि प्राथमिकी और आरोप पत्र से संज्ञेय अपराध का प्रथम दृष्टया साक्ष्य मिलता है, तब भी न्यायालय को शिकायतकर्ता के उद्देश्य पर विचार करना चाहिए और एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

इस मामले में हुई सुनवाई
न्यायालय ने यह टिप्पणी अलीगढ़ के एक व्यक्ति पंकज की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। पंकज पर उसकी पत्नी ने दहेज उत्पीड़न और मारपीट का आरोप लगाया था। न्यायालय ने पाया कि इस मामले में प्राथमिकी में सभी आरोपितों पर एक समान और सामान्य प्रकृति के आरोप लगाए गए थे। इसके अलावा, जांच अधिकारी भी अभियुक्तों की व्यक्तिगत भूमिका को स्पष्ट रूप से अलग नहीं कर पाए थे।

न्यायालय ने यह भी ध्यान दिया कि शिकायतकर्ता ने अपने बयान में सभी आरोपितों पर एक जैसे आरोप लगाए थे, केवल बयान के अंतिम हिस्से में पति पर विशेष रूप से मारपीट का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा, पुलिस ने जांच के बाद देवर और ननद के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया था, जो कि एक महत्वपूर्ण बिंदु था।

यह था पूरा मामला
याची की शादी 22 अप्रैल 2016 को अलीगढ़ में हुई थी। लगभग दो साल बाद, 25 जून 2018 को, उसकी पत्नी ने पति, सास-ससुर, ननद और देवर पर 20 लाख रुपये के दहेज के लिए प्रताड़ित करने का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस जांच के बाद, केवल पति और सास-ससुर के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।

निचली अदालत के संज्ञान आदेश को रद्द
इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, उच्च न्यायालय ने याची के खिलाफ दायर आरोप पत्र और निचली अदालत के संज्ञान आदेश को रद्द कर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वैवाहिक विवादों में, जहां सभी आरोपितों पर समान आरोप लगाए जाते हैं, वहां यह जांच का विषय होना चाहिए। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालयों को ऐसे मामलों में केवल कानूनी पहलुओं पर ही नहीं, बल्कि मामले की व्यावहारिक परिस्थितियों और शिकायतकर्ता के उद्देश्य पर भी विचार करना चाहिए। 

Also Read

रेलवे की विशेष तैयारी, जारी किया टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर, जल्द आएगा मोबाइल एप

30 Oct 2024 06:35 PM

प्रयागराज महाकुंभ 2025 : रेलवे की विशेष तैयारी, जारी किया टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर, जल्द आएगा मोबाइल एप

 सनातन धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आयोजन महाकुंभ 2025, 12 वर्षों के बाद प्रयागराज में होने जा रहा है, इसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पहुंचेंगे... और पढ़ें