सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह राज्य के मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त डॉक्टरों के लिए 1983 में जारी शासनादेश को कड़ाई से लागू करे...
इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला : सरकारी डॉक्टर नहीं कर सकेंगे प्राइवेट प्रैक्टिस, प्रमुख सचिव से मांगा हलफनामा
Jan 10, 2025 13:09
Jan 10, 2025 13:09
कोर्ट ने मांगा हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस आदेश का सही तरीके से पालन हो रहा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिका की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मेडिकल कॉलेज प्रयागराज के प्रोफेसर डॉक्टर अरविंद गुप्ता की याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।
याचिका वापस लेने की अर्जी खारिज
याचिकाकर्ता ने मामले में फंसते देख अपनी याचिका वापस लेने का आग्रह किया था, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है और इसमें न्याय की आवश्यकता है, इसलिए याचिका वापस लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत का मानना था कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए और उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
इलाज की गुणवत्ता पर पड़ता है प्रभाव
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि कई सरकारी डॉक्टर निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अपने निजी लाभ के लिए मरीजों को रिफर करते हैं। इससे सरकारी अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है और मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर किया जाता है। यह स्थिति सरकारी अस्पतालों की सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ता है।
प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगाई गई थी रोक
सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि 6 जनवरी को सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया गया था कि वे 1983 के शासनादेश का पालन सुनिश्चित करें और प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाए। यह आदेश उन जिलों में लागू होगा, जहां मेडिकल कॉलेज स्थित हैं। कोर्ट ने इस आदेश को लागू करने के लिए प्रमुख सचिव से हलफनामा मांगा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आदेश पूरी तरह से लागू हो रहा है।
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