मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह रोक 6 जनवरी 2025 तक प्रभावी रहेगी। मामला विवादित महंत यति नरसिंहानंद की सहयोगी उदिता त्यागी की शिकायत पर दर्ज किया गया था।
मोहम्मद जुबैर को मिली राहत : हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक, 6 जनवरी तक बना रहेगा न्यायिक संरक्षण
Dec 21, 2024 10:10
Dec 21, 2024 10:10
क्या है पूरा मामला?
यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी ने तीन अक्टूबर 2024 को मोहम्मद जुबैर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में दावा किया गया कि जुबैर ने नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप पोस्ट की। जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा भड़काना था। अदालत ने प्राथमिक जांच में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 196 के तहत मामला बनता पाया। हालांकि, आईपीसी की धारा 152 के तहत आरोपों की वैधता पर और विचार की आवश्यकता जताई।
अदालत ने दिया तीन सप्ताह का समय
अदालत ने राज्य सरकार को एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। अदालत ने कहा कि संबंधित पक्षों के बीच हलफनामों का आदान-प्रदान और अपर महाधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद ही मामले पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
गिरफ्तारी पर रोक का आदेश
अदालत ने मोहम्मद जुबैर के आपराधिक इतिहास और 2022 की रिट याचिका (मोहम्मद जुबैर बनाम दिल्ली सरकार) का भी जिक्र किया। इस याचिका में जुबैर को विभिन्न मामलों में जमानत दी गई थी। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि जुबैर जांच में सहयोग करेंगे और देश के बाहर नहीं जाएंगे। जुबैर को अपना पासपोर्ट गाजियाबाद के पुलिस आयुक्त के पास जमा करने का निर्देश दिया गया है।
प्राथमिकी में आरोप
गाजियाबाद में दर्ज प्राथमिकी में जुबैर पर नरसिंहानंद की संपादित क्लिप पोस्ट करने का आरोप है। इस क्लिप में नरसिंहानंद की पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित भड़काऊ टिप्पणियां थीं। जुबैर ने इस पोस्ट को "अपमानजनक" बताते हुए नरसिंहानंद के खिलाफ उग्र भावनाएं भड़काने का उद्देश्य बताया।
जुबैर पर दर्ज धाराएं
मोहम्मद जुबैर पर आईपीसी की धारा 196 (धर्म के आधार पर वैमनस्यता बढ़ाना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से कृत्य), 356(3) (मानहानि) और 351(2) (आपराधिक धमकी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। बाद में पुलिस ने आईपीसी की धारा 152 (हिंसा फैलाने वाले संदेश) और आईटी कानून की धारा 66 भी जोड़ी।
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