एंबेसडर बाबा की अनोखी यात्रा : 52 साल पुरानी कार से महाकुंभ में पहुंचे साधु, 1972 मॉडल की सैफरन बनी घर

52 साल पुरानी कार से महाकुंभ में पहुंचे साधु, 1972 मॉडल की सैफरन बनी घर
UPT | एंबेसडर बाबा

Jan 09, 2025 17:24

एंबेसडर बाबा की पहचान उनकी कार है जो 1972 मॉडल की एंबेसडर है। बाबा ने इसे सैफरन रंग में रंगवा रखा है, जो उनकी आध्यात्मिक पहचान को दर्शाता है।

Jan 09, 2025 17:24

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ अनोखे साधु-संतों के कारण भी चर्चा का विषय बना हुआ है। हर बार महाकुंभ में कुछ ऐसे खास बाबाओं का जिक्र होता है, जो अपनी विशिष्ट शैली और जीवनशैली के कारण ध्यान आकर्षित करते हैं। इन्हीं में से एक हैं 'एंबेसडर बाबा', जो अपनी 70-75 साल पुरानी एंबेसडर कार से यात्रा करते हैं। यह बाबा अपने आप में एक चलते-फिरते रहस्य हैं, जिनकी कहानी लोगों को आश्चर्यचकित कर देती है।

एंबेसडर बाबा का मध्य प्रदेश से प्रयागराज तक सफर
एंबेसडर बाबा का घर मध्य प्रदेश में है, लेकिन वे पिछले चार सालों से महाकुंभ में नियमित रूप से भाग ले रहे हैं। बाबा ने अपने घर-परिवार का मोह त्याग दिया है, लेकिन इस कार से उनका जुड़ाव अटूट है। बाबा बताते हैं कि इस कार में ही वे सोते, खाते और आराम करते हैं। उन्होंने इस कार को ही अपना स्थायी आश्रय बना लिया है। बाबा के अनुसार मध्य प्रदेश से प्रयागराज तक आने में उन्हें लगभग डेढ़ दिन का समय लगता है।

1972 मॉडल की एंबेसडर कार
एंबेसडर बाबा की पहचान उनकी कार है जो 1972 मॉडल की एंबेसडर है। बाबा ने इसे सैफरन रंग में रंगवा रखा है, जो उनकी आध्यात्मिक पहचान को दर्शाता है। यह कार उनकी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। बाबा बताते हैं कि यह कार उनके पास पिछले 30-35 सालों से है और उन्होंने इसे बड़े प्यार और देखभाल के साथ संभाल कर रखा है। इस कार में बाबा अपनी जरूरत की लगभग सभी चीजें रखते हैं।

टार्जन बाबा के नाम से भी जाने जाते है एंबेसडर बाबा
टार्जन बाबा के नाम से प्रसिद्ध एंबेसडर बाबा ने हाल ही में एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में अपनी जीवन यात्रा के बारे में खुलासा किया। उन्होंने बताया कि उनका नाम "टार्जन बाबा" कैसे पड़ा। दरअसल, उन्हें एक बार टार्जन फिल्म की शूटिंग पर ले जाया गया था, जहां से उनका नाम टार्जन बाबा पड़ा। इसके बाद से ही लोग उन्हें इसी नाम से पहचानने लगे। बाबा ने यह भी कहा कि यह नाम उनके जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है और वे इसे गर्व से अपने साथ रखते हैं।

एंबेसडर कार का इतिहास
एंबेसडर कार का इतिहास भारत में 1948 से शुरू हुआ। इसे पहली बार 'हिंदुस्तान लैंडमास्टर' नाम से पेश किया गया था। 1950 के दशक में इसे ब्रिटिश कार 'मॉरिस ऑक्सफोर्ड सीरीज III' के आधार पर डिजाइन किया गया। इसका पहला मॉडल 1.5-लीटर इंजन के साथ आया, जो 35 बीएचपी पावर प्रोड्यूस करता था। यह कार उस समय अपनी मजबूती और दमदार प्रदर्शन के लिए जानी जाती थी। पिछले कुछ दशकों में एंबेसडर कार ने कई बदलाव देखे। यह भारतीय बाजार में लंबे समय तक सबसे भरोसेमंद कार मानी जाती रही। एंबेसडर कार न केवल आम लोगों, बल्कि सरकारी अधिकारियों और नेताओं के बीच भी लोकप्रिय रही है।

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