कभी फतेहपुर ने दिया था देश को प्रधानमंत्री : दो बार जीते थे लाल बहादुर शास्त्री के बेटे, 2024 में हैट्रिक लगाने उतरेगी भाजपा

दो बार जीते थे लाल बहादुर शास्त्री के बेटे, 2024 में हैट्रिक लगाने उतरेगी भाजपा
UPT | कभी फतेहपुर ने दिया था देश को प्रधानमंत्री

May 18, 2024 19:29

फतेहपुर जिला गंगा -यमुना दोआब के पूर्वी हिस्से में बसा है। यह उत्तर -पश्चिम में कानपुर नगर और दक्षिण-पूर्व में प्रयागराज से घिरा है। गंगा के पार उत्तर में उन्नाव, रायबरेली और थोड़ी दूर तक प्रतापगढ़ जिला पड़ता है। जबकि दक्षिण में यमुना नदी इसे बांदा और हमीरपुर जिले से अलग करती है।

May 18, 2024 19:29

Short Highlights
  • बीहड़ औऱ उपजाऊ जमीन के बीच बसा है शहर
  • विधानसभा में भाजपा-सपा हावी
  • कभी फतेहपुर ने दिया था देश को प्रधानमंत्री
Fatehpur News : लोकसभा चुनाव के चार चरणों के लिए मतदान किए जा चुके हैं। अब पांचवें चरण के लिए 20 मई को वोटिंग होनी है। इस दिन उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर भी वोट डाले जाने हैं, जिसमें मोहनलालगंज, लखनऊ, राय बरेली, अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज और गोंडा शामिल हैं। इसके पहले के एपिसोड में हम मोहनलालगंज, लखनऊ, अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर और बांदा के बारे में बात कर चुके हैं। आज बात फतेहपुर की…

बीहड़ और उपजाऊ जमीन के बीच बसा शहर
प्रयागराज मंडल के अंतर्गत आने वाला फतेहपुर जिला गंगा -यमुना दोआब के पूर्वी हिस्से में बसा है। यह उत्तर -पश्चिम में कानपुर नगर और दक्षिण-पूर्व में प्रयागराज से घिरा है। गंगा के पार उत्तर में उन्नाव, रायबरेली और थोड़ी दूर तक प्रतापगढ़ जिला पड़ता है। जबकि दक्षिण में यमुना नदी इसे बांदा और हमीरपुर जिले से अलग करती है। कहते हैं कि फतेहपुर का नाम जौनपुर के इब्राहीम शाह द्वारा अथगढिया के राजा सीतानन्द पर जीती गयी लड़ाई से लिया गया है। यह विश्वास पूरी तरह से परंपरा पर आधारित है और विजेता का नाम कभी-कभी बंगाल के शासक जलालुद्दीन के रूप में लिया जाता है। एक तरफ गंगा के उपजाऊ इलाके और दूसरी तरफ बुंदेलखंड से सटे यमुना के बीहड़ के बीच बसा यह शहर अपने आप में कई समीकरण समेटे हुए है।

विधानसभा में भाजपा-सपा हावी
उत्तर प्रदेश की ज्यादातर लोकसभा सीटों के तहत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, लेकिन फतेहपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा के 6 क्षेत्र आते हैं। इसमें जहानाबाद, बिन्दकी, फतेहपुर, आयहशाह, हुसैनगंज और खागा शामिल है। यहां जहानाबाद पर भाजपा के राजेंद्र सिंह पटेल, बिन्दकी से अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल के जय कुमार सिंह, फतेहपुर से सपा के चंद्र प्रकाश लोधी, आयहशाह से भाजपा के विकास गुप्ता, हुसैनगंज से सपा की उषा मौर्य और खागा की सुरक्षित सीट से भाजपा के कृष्णा पासवान विधायक हैं।

पहले कांग्रेसी, फिर निर्दलीय प्रत्याशी को मौका
फतेहपुर के अगर सियासी आंकड़े उठाकर देखें, तो स्पष्ट हो जाता है कि यहां की जनता ने लगभग हर किसी को मौका दिया है। 1957 में जब सीट अस्तित्व में आई, तो कांग्रेस के अंसार हरवानी ने जीत से शुरुआत की। इसके बाद 1962 में यहां से निर्दलीय प्रत्याशी गौरी शंकर ने जीत हासिल की। 1967 में संत बख्श सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके बाद वह 1971 में फिर से कांग्रेस के टिकट पर उतरे और दोबारा जीत गए। बाद में देश में इमरजेंसी लग गई और अगला चुनाव 1977 में हुआ। जनता पार्टी के बशीर अहमद ने यहां से चुनाव जीत लिया और सांसद बन गए। 2 मार्च 1978 को उनकी मृत्यु हो गई और सीट पर उपचुनाव हुआ। 1978 में जनता पार्टी के लियाकत हुसैन ने भी उपचुनाव जीत लिया।

एक दशक बाद खत्म हुआ कांग्रेस का दौर
1980 में जब आम चुनाव हुए, तो कांग्रेस के टिकट पर लाल बहादुर शास्त्री के बेटे हरि कृष्ण शास्त्री ने चुनाव में जीत हासिल की। वह दूसरी बार 1984 में फिर से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे। ये जीत फतेहपुर में कांग्रेस की आखिरी जीत थी। 1989 में जनता दल के संस्थापक विश्वनाथ प्रताप सिंह ने फतेहपुर की सीट पर फतह हासिल कर ली। ये चुनाव जीतने के बाद वह देश के प्रधानमंत्री बने। वह 2 दिसंबर 1989 से 10 दिसंबर 1990 तक प्रधानमंत्री रहे। वीपी सिंह के नेतृत्व से आश्वस्त फतेहपुर की जनता ने उन्हें 1991 में दोबारा सीट जिता दी। यह वीपी सिंह का अंतिम चुनाव था। 1996 में बहुजन समाज पार्टी के विशंभर प्रसाद निषाद ने चुनाव जीता और सांसद बने। 

भाजपा का शुरु हुआ दौर
1998 में फतेहपुर की लोकसभा में भाजपा ने अपनी जीत से एंट्री की। अशोक कुमार पटेल भाजपा के टिकट पर पहले 1998, फिर 1999 में लोकसभा का चुनाव जीते। 2004 में बसपा के महेंद्र प्रसाद निषाद ने चुनाव में जीत हासिल की। 2009 में समाजवादी पार्टी से राकेश सचान प्रत्याशी बनाए गए। उनके सामने पिछली बार के सांसद महेंद्र प्रसाद निषाद बसपा के टिकट पर उतरे, जबकि भाजपा ने राधे श्याम गुप्ता को मैदान में उतारा। ये मुकाबला राकेश सचान ने जीत लिया और बसपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे। भाजपा इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रही थी।

मोदी लहर का मिला फायदा
2014 में मोदी लहर पर सवार भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 71 सीटें जीतीं, जिसमें फतेहपुर की सीट भी शामिल थी। यहां से भाजपा ने निरंजन ज्योति को प्रत्याशी बनाया। उनके सामने बसपा के अफजल सिद्दीकी और सपा के पिछली बार के सांसद राकेश सचान थे। लेकिन निरंजन ज्योति सब पर भारी पड़ीं और उन्होंने 4.85 लाख वोट पाकर चुनाव जीत लिया। बसपा प्रत्याशी को 2.98 लाख वोट और सपा को 1.79 लाख वोट मिले थे। 2019 सपा और बसपा ने गठबंधन कर लिया था। फतेहपुर में बसपा का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा था, इसलिए सीट बसपा के खाते में आई। प्रत्याशई बनाए गए सुखदेव प्रसाद वर्मा। टिकट कटने पर राकेश सचान का सपा से मोहभंग हो गया और वह कांग्रेस के प्रत्याशी बनकर उतरे। निरंजन ज्योति ने 5.66 लाख वोट हासिल किए और बसपा प्रत्याशी को 3.67 लाख वोटों के अंतर से हरा दिया। राकेश सचान पिछली बार के मुकाबले आधे वोट भी नहीं पा सके और मात्र 66 हजार वोटों पर सिमट गए।

2024 में सपा ने खेला बड़ा दांव
2024 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर पर फतह हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने तुरुप के इक्के को आगे कर दिया। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को पार्टी ने प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है। बसपा ने मनीष सचान को टिकट दिया है, तो वहीं भाजपा की साध्वी निरंजन ज्योति तीसरी बार मैदान में हैं। अगर पिछले आंकड़ें देखें तो फतेहपुर में आज तक कोई प्रत्याशी लगातार तीन बार चुनाव नहीं जीत पाया है। भाजपा को उम्मीद है कि निरंजन ज्योति ये करिश्मा कर सकती हैं। करीब 19 लाख वोटरों वाले लोकसभा क्षेत्र में 4 लाख दलित, 3 लाख क्षत्रिय, 1.5 लाख निषाद, 2.5 लाख ब्राह्मण और 2 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। कहते हैं कि फतेहपुर की सियसत दो हिस्सों में बंटी है, जिसमें एक हिस्सा लोधी, कुर्मी और मौर्य समाज का है और दूसरा हिस्सा निषाद, क्षत्रिय, ब्राह्मण और पिछड़े वर्ग की अन्य जातियों का है। ऐसे में सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए दिखाई दे रहे हैं। 4 जून के नतीजे सारी स्थिति बयां कर देंगे।

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