500 साल पुराने सोने के सिक्के मिले : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में दो महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मिले

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में दो महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मिले
UPT | तिजोरी में मिले ताम्र पत्र और शाही आदेश।

Oct 18, 2024 13:41

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में दशकों से बंद पड़ी तिजोरी से 500 साल पुराने सोने के सिक्के और दो महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं। तिजोरी में मिले इन दस्तावेजों में एक शाही फरमान जो पारसी भाषा में लिखा गया है, और ताम्रपत्र पर पाली भाषा में अंकित विनय पिटक शामिल हैं।

Oct 18, 2024 13:41

Short Highlights
  • सोने के ये सिक्के मध्यकालीन इतिहास से जुड़े हैं, सिक्कों को कश्मीर के एक आदिवासी समुदाय से जुड़ा बताया जा रहा 
  • सिक्कों को तकरीबन पांच सौ साल पुराना बताया गया है, इन पर ब्राह्मी लिपि अंकित है 
Prayagraj News : प्रयागराज के इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में दशकों से बंद पड़ी तिजोरी से पांच सौ साल पुराने सोने के सिक्के और दो महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं। तिजोरी में मिले इन दस्तावेजों में एक शाही फरमान, जो पारसी भाषा में लिखा गया है, और ताम्रपत्र पर पाली भाषा में अंकित विनय पिटक शामिल है। इन पुरातात्विक धरोहरों को विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की देखरेख में तीन लॉकरों को खोलकर हासिल किया गया।


तीनों लॉकरों को खोलने की प्रक्रिया के दौरान पुरातत्व विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई थी 
तिजोरी में बंद इन तीनों लॉकरों को खोलने की प्रक्रिया के दौरान पुरातत्व विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई थी। इस समिति के सामने लॉकर खोले गए और उसमें पाई गई धरोहरों की सूची बनाई गई। समिति के सदस्यों ने देखा कि तिजोरी में लगभग 500 सिक्के रखे गए थे, जिनमें से कुछ सोने के थे। ये सिक्के विभिन्न कालखंडों और लिपियों से संबंधित हैं। प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि सोने के ये सिक्के कश्मीर के एक आदिवासी समुदाय किडाइट्स किंगडम से जुड़े हो सकते हैं। यह समुदाय भारतीय इतिहास में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।

सोने के सिक्कों पर ब्राह्मी लिपि अंकित है 
इन सोने के सिक्कों पर ब्राह्मी लिपि अंकित है और विशेषज्ञों का मानना है कि ये सिक्के मध्यकालीन भारत के इतिहास से जुड़े हुए हैं। प्रत्येक सोने के सिक्के का वजन लगभग 7.34 ग्राम है और इसका व्यास 21 मिमी है। ये गोल आकार के सिक्के मध्यकालीन काल की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, तिजोरी में मिले अन्य धातुओं के सिक्कों के बारे में अभी विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन ये भी अलग-अलग कालों और लिपियों से संबंधित हो सकते हैं। इसके अलावा तिजोरी से मिले अन्य दस्तावेजों में एक शाही फरमान मिला है, जो पर्शियन भाषा में लिखा गया है। इस शाही फरमान की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को देखते हुए विशेषज्ञ इसकी गहनता से जांच कर रहे हैं। साथ ही, ताम्रपत्र पर पाली भाषा में अंकित विनय पिटक भी तिजोरी में मिला है, जो बौद्ध धर्म और इसके इतिहास के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।

इन धरोहरों को विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग और संबंधित विशेषज्ञों की देखरेख में जांच के लिए भेजा जाएगा 
कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने बताया कि इन धरोहरों को विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग और संबंधित विशेषज्ञों की देखरेख में जांच के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के आधार पर इन्हें संरक्षित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि तिजोरी में मिली इन धरोहरों से विश्वविद्यालय के इतिहास और भारतीय संस्कृति के अध्ययन में एक नया अध्याय जुड़ेगा। तिजोरी में मिली इन धरोहरों को देखकर विशेषज्ञ भी हैरान हैं। उनका मानना है कि इन सिक्कों और दस्तावेजों के माध्यम से हमें मध्यकालीन भारतीय समाज और संस्कृति की महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। तिजोरी के ये दस्तावेज और सिक्के न केवल विश्वविद्यालय के लिए बल्कि देश की सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी अमूल्य साबित हो सकते हैं। 

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