वाराणसी-प्रयागराज में बाढ़ का कहर : गंगा-यमुना ने अपनाया रौद्र रूप, पलायन को मजबूर लोग

गंगा-यमुना ने अपनाया रौद्र रूप, पलायन को मजबूर लोग
UPT | गंगा-यमुना ने अपनाया रौद्र रूप

Sep 17, 2024 10:16

इस बार मानसून की बारिश ने उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई है। हाल की मूसलधार बारिश के कारण प्रदेश की अधिकांश नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुँच गया...

Sep 17, 2024 10:16

Varanasi / Prayagraj News : इस बार मानसून की बारिश ने उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई है। हाल की मूसलधार बारिश के कारण प्रदेश की अधिकांश नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुँच गया है। जिसके बाद से निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। खास तौर से प्रयागराज और वाराणसी में स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है। यहाँ गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर अत्यधिक बढ़ चुका है। प्रयागराज में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से कुछ ही सेंटीमीटर दूर है। जबकि वाराणसी में गंगा और वरुणा नदियों का जलस्तर भी ऊफान पर है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर 70.82 मीटर तक पहुँच चुका है। जो कि खतरे के निशान 71.26 मीटर के करीब है।

नावों की आवजाही और बाढ़ के प्रभाव
बारिश की निरंतरता और तेज हवाओं के चलते वाराणसी में बाढ़ की स्थिति और भी विकराल हो गई है। यहाँ गंगा और वरुणा दोनों नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है। सड़कें जलमग्न हो गई हैं और कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। शहर की गलियों में नावें चलानी पड़ रही हैं और लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं।

गंगा-यमुना ने अपनाया रौद्र रूप
सोमवार को गंगा और यमुना नदियों ने अपना रौद्र रूप दिखाया। जिससे आसपास के इलाके बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं। गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से बेहद करीब पहुँच गया है। सोमवार को गंगा का जलस्तर 84.07 मीटर तक पहुँच गया जबकि खतरे का निशान 84.73 मीटर है। यमुना का जलस्तर भी चिंता का विषय बना हुआ है, जो 83.91 मीटर तक पहुँच गया है और खतरे के निशान से मात्र 0.82 मीटर नीचे है। हालांकि शाम होते-होते दोनों नदियों के जलस्तर में मामूली कमी देखने को मिली, लेकिन इससे प्रभावित लोगों को राहत नहीं मिल सकी है। पानी की ऊंचाई में मामूली कमी के बावजूद बाढ़ की स्थिति में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है। प्रयागराज में स्थिति बहुत गंभीर है। गंगा किनारे स्थित 150 गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है और 20 मोहल्ले भी इसकी चपेट में आ चुके हैं। बाढ़ की वजह से 20 हजार लोग बेघर हो गए हैं और डेढ़ हजार लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।

नावों पर भी लगाई गई रोक
वाराणसी में गंगा नदी के नमो घाट से लेकर आसपास के सभी घाटों पर बाढ़ का पानी भर गया है। यह स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि नदी में चलने वाली नावों के संचालन पर रोक लगा दी गई है। अब ये नावें गलियों में चल रही हैं, जो बाढ़ की गंभीरता को दर्शाता है। बाढ़ ने केवल नावों के संचालन को ही प्रभावित नहीं किया है, बल्कि गंगा के किनारे बसे तमाम इलाकों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। बाढ़ के पानी ने हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि को डुबो दिया है। जिससे फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। इसके साथ ही पशुओं के लिए चारे की भी भारी कमी हो गई है। जो ग्रामीण इलाकों में एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर रही है। वाराणसी के अलावा फर्रूखाबाद, अयोध्या, मऊ, आजमगढ़ और बलिया जैसे अन्य जिले भी बाढ़ की चपेट में हैं। इन क्षेत्रों में सरयू नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिसके कारण स्थानीय निवासियों में चिंता और घबराहट बढ़ गई है। बाढ़ की वजह से जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। जिससे राहत और बचाव कार्यों की जरूरत भी बढ़ गई है।

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