प्रयागराज के महाकुंभ में एक ऐसा ही चमत्कारी किस्सा देखने को मिला, जहां 10 साल के नागा संन्यासी गोपाल गिरि ने अपनी साधु जीवन की शुरुआत की...
महाकुंभ पहुंचे सबसे कम उम्र के नागा : माता-पिता ने गुरु दक्षिणा में किया दान, तीन साल की उम्र में छोड़े खिलौने...अब रमाते हैं धूनी
Dec 30, 2024 14:50
Dec 30, 2024 14:50
गुरु के साथ पहुंचे संगम
गोपाल गिरि महाकुंभ में अपने गुरु के साथ पहुंचे हैं, जहां वह दिन भर भजन कीर्तन में रमे रहते हैं। गोपाल गिरि मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के निवासी हैं। उनके गुरु भाई बताते हैं कि जब वह तीन साल के थे, तब उनके माता-पिता ने उन्हें गुरु के पास सौंप दिया और तब से उन्होंने दीक्षा ली। उस समय से वह भगवान भोलेनाथ की सेवा में जुटे हुए हैं। हालांकि गोपाल गिरि अपनी उम्र को लेकर शरमाते हैं, लेकिन उनके गुरु भाई ने बताया कि उनकी उम्र इस समय 8 साल हो चुकी है। उन्होंने अपने जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना किया है। वे तीन भाई-बहन हैं, जिनमें वे बड़े हैं और उनके माता-पिता ने उन्हें गुरु के पास दान कर दिया था।
आसान नहीं संन्यासी बनने की राह
गोपाल गिरि ने बताया कि संन्यासी बनना आसान नहीं होता। उन्हें सर्दी में बिना कपड़े के रहना होता है और चप्पल के बिना पैदल चलना पड़ता है। छोटे नागा संन्यासी को देख हर कोई रुककर उन्हें आशीर्वाद देता है और फोटो भी खिंचवाता है। इसके बावजूद, गोपाल गिरि अपनी छोटी उम्र के बावजूद अन्य साधुओं की तरह शालीनता से पेश आते हैं और सभी को आशीर्वाद देते हैं। यह उनका पहला महाकुंभ है और वह अपने गुरु से दीक्षा लेने के बाद अब गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस महाकुंभ में वह अपने गुरु भाई के साथ आस्था की डुबकी भी लगाएंगे।
जप, तप और साधना में लीन
गोपाल गिरि पिछले पांच सालों से आश्रम में हैं, जहां उन्होंने जप, तप, साधना और अनुष्ठान सीखा है। इसके अलावा, उन्होंने शस्त्र और शास्त्र की ट्रेनिंग भी ली है। वह बहुत अनुशासन में रहते हैं और तन पर अभिमंत्रित भभूत लगाकर दिनभर साधना में व्यस्त रहते हैं। महाकुंभ में सैकड़ों नागा साधु पहुंचे हैं और गोपाल गिरि उन सभी साधुओं की तरह अपने पथ पर चल रहे हैं। वह किसी भी प्रकार की व्यर्थ की बातों से दूर रहते हैं और केवल अपनी साधना में लगे रहते हैं।
अखाड़े में महिलाओं का प्रेवश वर्जित
महाकुंभ में गोपाल गिरि और अन्य साधु संत संगम के तट पर दिन-रात धूनी रमाते हुए नजर आते हैं। बाल नागा साधु गोपाल गिरि भी यहां दिनभर भंडारा करते हैं और भजन गाते हैं। हालांकि, वह अखाड़े में महिलाओं के प्रवेश पर नाराज हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी साधना में विघ्न पड़ता है। गोपाल गिरि का मानना है कि हथियार धर्म की रक्षा के लिए होते हैं और वह हमेशा अपने साथ चापर रखते हैं।
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