जस्टिस शमीम अहमद की पीठ ने कहा कि असंज्ञेय अपराध की जांच के लिए न्यायालय से अनुमति मांगना अनिवार्य प्रकृति का है...
हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी : कहा- मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना असंज्ञेय अपराध की जांच अवैध, बाद में दी गई अनुमति महत्वहीन
![कहा- मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना असंज्ञेय अपराध की जांच अवैध, बाद में दी गई अनुमति महत्वहीन](https://image.uttarpradeshtimes.com/upt-14-48787.jpg)
Jun 19, 2024 11:59
Jun 19, 2024 11:59
जस्टिस ने क्या कहा?
सीआरपीसी की धारा 155 की उपधारा (2) के तहत प्रावधान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, 'हालांकि न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना उचित जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया जाता है और मजिस्ट्रेट ने आरोप पत्र स्वीकार कर लिया है और संज्ञान ले लिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मजिस्ट्रेट द्वारा ऐसे असंज्ञेय अपराध की जांच के लिए अनुमति दी गई है। इसलिए, मजिस्ट्रेट के लिखित आदेश के बिना असंज्ञेय अपराध की जांच इस धारा के प्रावधान के बिल्कुल विपरीत है।'
इन धाराओं के तहत की टिप्पणी
जस्टिस शमीम अहमद की पीठ ने ने धारा 143, 147, 281, 283, 188, 269, आईपीसी और 51 (बी) आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत 28 व्यक्तियों के खिलाफ संपूर्ण आपराधिक कार्यवाही और संज्ञान और समन आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। जोकि सीआरपीसी की धारा 155 की उपधारा (2) के तहत प्रावधान का हवाला देते की है।
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