अलीगढ़ के गांधी पार्क थाना क्षेत्र के मामू-भांजा कॉलोनी में एक भयानक घटना घटी। फरीद उर्फ औरंगजेब नाम का एक व्यक्ति काम से घर लौट रहा था, उस पर चोरी का संदेह करते हुए कुछ लोगों ने उसे बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। गंभीर रूप से घायल…
Allahabad High Court : हाईकोर्ट ने पूछा-मॉब लिंचिंग में मृतक के खिलाफ कैसे दर्ज हुआ डकैती का केस, सरकार से मांगा स्पष्टीकरण
Sep 11, 2024 00:31
Sep 11, 2024 00:31
अलीगढ़ मॉब लिंचिंग का है मामला
18 जून को अलीगढ़ के गांधी पार्क थाना क्षेत्र के मामू-भांजा कॉलोनी में एक भयानक घटना घटी। फरीद उर्फ औरंगजेब नाम का एक व्यक्ति काम से घर लौट रहा था, जब उस पर चोरी का संदेह करते हुए कुछ लोगों ने उसे घेर लिया और बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। हालांकि पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गंभीर रूप से घायल फरीद को मलखान सिंह अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सीसीटीवी फुटेज के आधार पर, कई लोगों को आरोपी बनाया गया
इस घटना ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर, कई लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें एक स्थानीय भाजपा नेता अकिंत वार्ष्णेय भी शामिल थे। इस घटना के बाद शहर में तनाव का माहौल बन गया और बाजार में जमकर बवाल हुआ।
आरोपियों के परिवार की महिला ने दर्ज कराई थी शिकायत
लेकिन यह मामला यहीं नहीं रुका। घटना के ठीक 11 दिन बाद, एक नया और चौंकाने वाला मोड़ आया। मॉब लिंचिंग के आरोपियों के परिवार की एक महिला, लक्ष्मी मित्तल ने पुलिस में एक नई शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत में उन्होंने मृतक फरीद, उसके भाई मोहम्मद जकी और छह अन्य लोगों पर महिलाओं से छेड़छाड़ और डकैती का आरोप लगाया।
लक्ष्मी मित्तल के अनुसार, 18 जून की रात को फरीद ने उनके घर में घुसकर छेड़छाड़ करने की कोशिश की और कीमती सामान लूट लिया। उन्होंने यह भी कहा कि जब उनके परिवार के सदस्य उन्हें बचाने के लिए दौड़े, तो आरोपियों को वहां से भगाया गया। इसी दौरान फरीद का संतुलन बिगड़ गया और वह सीढ़ियों से नीचे गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस नई शिकायत के आधार पर, पुलिस ने फरीद, उसके भाई जकी और अन्य आरोपियों के खिलाफ छेड़छाड़ और डकैती की धाराओं में एक नया मुकदमा दर्ज कर दिया।
मोहम्मद जकी ने की थी एफआईआर रद्द करने की मांग
इस नए मोड़ ने मामले को और भी जटिल बना दिया। फरीद के भाई मोहम्मद जकी ने इस नए एफआईआर को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने एफआईआर रद्द करने और अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की।
जकी की वकील तनीषा जहांगीर मुनीर का तर्क
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। जकी की वकील तनीषा जहांगीर मुनीर ने तर्क दिया कि यह जवाबी कार्रवाई का मामला है। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग के आरोपियों को बचाने के लिए मृतक और उसके परिजनों के खिलाफ यह मुकदमा दर्ज कराया गया है।
हाईकोर्ट ने उठाए कई महत्वपूर्ण सवाल
न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए। सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण सवाल था - एक मृत व्यक्ति के खिलाफ डकैती का मुकदमा कैसे दर्ज किया जा सकता है? न्यायालय ने यह भी पूछा कि घटना के 11 दिन बाद यह मुकदमा क्यों दर्ज किया गया?
हाईकोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा
इन सभी तथ्यों और तर्कों को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उन्होंने मोहम्मद जकी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। साथ ही, हाईकोर्ट ने सरकार से इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है।
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