उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग द्वारा 2013 में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) भर्ती प्रक्रिया में नियुक्ति पत्र जारी न किए जाने के मामले में चयनित अभ्यर्थियों ने न्याय का दरवाजा खटखटाया...
टीजीटी-2013 : नियुक्ति पत्र की मांग पर हाईकोर्ट सख्त, चयन आयोग से मांगा जवाब
Nov 18, 2024 12:43
Nov 18, 2024 12:43
कोर्ट का निर्देश और याचिका का विवरण
न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने अलीगढ़ निवासी पंकज कुमार व चार अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर यह आदेश दिया। याचियों का तर्क है कि आयोग की लापरवाही के कारण उन्हें न तो नियुक्ति पत्र दिया गया और न ही विद्यालय आवंटित किए गए।
भर्ती प्रक्रिया में देरी का इतिहास
टीजीटी-2013 भर्ती प्रक्रिया में आवेदन के कई सालों बाद भी अभ्यर्थी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। 2013 में टीजीटी के विभिन्न विषयों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। दो साल बाद 2015 में लिखित परीक्षा आयोजित हुई। एक साल बाद 2016 में साक्षात्कार हुए। चयन आयोग ने पदों की संख्या घटाकर 2017 में अंतिम परिणाम घोषित किया।
307 अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित
चयन आयोग ने 2018 में कोर्ट के आदेश के बाद 1167 चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की और 860 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई। लेकिन 307 अभ्यर्थी अब भी नियुक्ति और विद्यालय आवंटन से वंचित हैं।
कोर्ट का पुराना आदेश और अनुपालन में देरी
2018 में कोर्ट ने चयन आयोग को निर्देश दिया था कि सभी विषयों के विज्ञापित पदों पर चयन सूची जारी कर नियुक्तियां दी जाएं। हालांकि आयोग ने आदेश का आंशिक पालन करते हुए केवल 860 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी।
चयनित अभ्यर्थियों का प्रतिनिधित्व
याचियों के वकीलों ने तर्क दिया कि चयन आयोग की यह कार्यशैली कोर्ट के आदेश की अवमानना है। अभ्यर्थियों ने आयोग को कई बार प्रत्यावेदन देकर अपनी नियुक्ति की मांग की, लेकिन आयोग ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया।
आयोग से जवाब तलब
हाईकोर्ट ने आयोग से पूछा है कि शेष 307 चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति क्यों नहीं की गई। कोर्ट ने चयन आयोग को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है।
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