हथौड़े वाली होली : प्रयागराज में अनोखी परंपरा से हुई त्योहार की शुरुआत, जानिए क्या है इसका इतिहास

प्रयागराज में अनोखी परंपरा से हुई त्योहार की शुरुआत, जानिए क्या है इसका इतिहास
UPT | प्रयागराज में अनोखी परंपरा से हुई त्योहार की शुरुआत

Mar 24, 2024 16:30

प्रयागराज में होली मनाने की एक अनोखी परंपरा है, जिसके साथ ही होली की शुरुआत होती है। इसका नाम हथौड़े की बारात है। इस परंपरा के अंतर्गत हथौड़े की अनूठी शादी कराई जाती है।

Mar 24, 2024 16:30

Short Highlights
  • विश्वकर्मा जी ने प्रयागराज में गंगा जी के किनारे बैठ कर सबसे पहले एक हथौड़े का निर्माण किया।
  • प्रयागराज को हथौड़े का जनक कहा जाने लगा था।
Prayagraj News : प्रयागराज में होली मनाने की एक अनोखी परंपरा है, जिसके साथ ही होली की शुरुआत होती है। इसका नाम हथौड़े की बारात है। इस परंपरा के अंतर्गत हथौड़े की अनूठी शादी कराई जाती है। अनूठी परम्परा वाली इस शादी में एक भारी-भरकम हथौड़ा दूल्हा होता है, जो पूरे शहर में घूमता है। इसके अलावा शहर के लोग उसके बाराती होते हैं। लोग नाचते-गाते पूरे शहर में घूमते हैं। शादी से पहले शहर की गलियों में हथौड़े की भव्य बारात निकाली जाती है, जिसमें हज़ारों लोग बैंड-बाजे और आतिशबाजी के साथ इसमें शामिल होते हैं।

शाही शादी में शामिल होता है शहर
जिस तरह एक इंसान की बारात निकलती है, उसी तरह से प्रयागराज में हथौड़े की बारात निकलती है। जिस तरह से एक मां अपने बेटे को सजा के दूल्हा बनाती है, इसी तरह ब्याह के लिए सजाये जा रहे हथौड़े रूपी दूल्हे को किसी की नज़र न लगे, इसके लिए उसकी नज़र उतारी जाती है, काला टीका लगाया गया जाता है और आरती की जाती है। घंटों संजने-संवरने के बाद दूल्हे को बैंड-बाजे और डीजे की धुनों के बीच पूरी शान से शहर की सड़कों पर घुमाया जाता है। होली पर होने वाली इस शाही शादी में बाराती भी शामिल होते हैं, जो रास्ते भर आतिशबाजी और पटाखे छोड़ते हुए मस्ती में झूमते हैं। हथौड़े की बारात में वही भव्यता देखने को मिलती है, जो किसी शाही शादी में देखने को मिलती है।

प्रयागराज से हथौड़े का नाता क्या?
प्रयागराज में एक पुरानी बात प्रचलित है कि जब सृष्टि का निर्माण करना था तो भगवान विष्णु ने विश्वकर्मा को इसकी जिमेदारी दी थी। जिसके बाद विश्वकर्मा ने प्रयागराज में गंगा जी के किनारे बैठ कर सबसे पहले एक हथौड़े का निर्माण किया। जिसके बाद जब से प्रयागराज को हथौड़े का जनक कहा जाने लगा था। इसी परम्परा के निर्वहन में प्रयागराज से हर वर्ष होली के पर्व की शुरुआत इसी हथौड़े की बारात से होती है।

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