महाकुंभ 2025 : मेले में भाषा बाधा खत्म करने की पहल, अस्पतालों में क्षेत्रीय भाषाओं के विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात

मेले में भाषा बाधा खत्म करने की पहल, अस्पतालों में क्षेत्रीय भाषाओं के विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात
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Dec 30, 2024 16:47

मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को चिकित्सा सेवाओं के दौरान भाषा की कोई समस्या न हो। मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस व्यवस्था के लिए तैयारी शुरू कर दी है...

Dec 30, 2024 16:47

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के इलाज के लिए स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। अब अस्पताल में विभिन्न भारतीय भाषाओं के जानकार चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी, ताकि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को चिकित्सा सेवाओं के दौरान भाषा की कोई समस्या न हो। मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस व्यवस्था के लिए तैयारी शुरू कर दी है और इसमें पीजी व एमबीबीएस के छात्र भी शामिल होंगे। कॉलेज प्रशासन ने इस उद्देश्य के लिए 20 से 25 चिकित्सकों को चिह्नित करने का लक्ष्य रखा है।

पारंपरिक भाषाओं में चिकित्सा सहायता
एसआरएन अस्पताल के विभिन्न विभागों में कन्नड़, उड़िया, तमिल, तेलगू, मलयालम और बांग्ला जैसी भारतीय भाषाओं में जानकार डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य महाकुंभ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को बिना किसी भाषा संबंधी कठिनाई के चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना है। मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. वत्सला मिश्रा ने बताया कि इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि मरीजों को इलाज में किसी भी प्रकार की भाषा की बाधा न आए। जिससे उनका उपचार जल्दी और प्रभावी ढंग से हो सके।

इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों की मदद
डॉ. वत्सला मिश्रा ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए जिले के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं की मदद लेने की योजना बनाई है। इसके अंतर्गत आईआईटी कॉलेजों से भी संपर्क किया जाएगा ताकि उन छात्रों का सहयोग प्राप्त किया जा सके जो इन भाषाओं में दक्ष हैं। उनका कहना था कि यह व्यवस्था महाकुंभ के स्नान पर्वों के दौरान पूरी तरह से लागू की जाएगी ताकि उस समय आने वाले श्रद्धालुओं को कोई समस्या न हो।

कार्यशाला के माध्यम से तैयार होंगे चिकित्सक
एसआरएन अस्पताल के सर्जन डॉ. संतोष सिंह ने कहा कि अस्पताल में तैनात किए जाने वाले विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं के जानकार चिकित्सकों की सूची तैयार की जा रही है। इस संबंध में पांच जनवरी से पहले एमबीबीएस छात्रों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी। जिसमें इन छात्रों को क्षेत्रीय भाषाओं के संवाद में दक्ष बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।

भविष्य में भी लागू हो सकती है यह व्यवस्था
हालांकि यह व्यवस्था खास तौर पर महाकुंभ के लिए बनाई जा रही है लेकिन डॉ. मिश्रा और डॉ. सिंह का मानना है कि यदि भविष्य में अन्य चिकित्सा कार्यों या आयोजनों में आवश्यकता पड़ी तो इसे अन्य अवसरों पर भी लागू किया जा सकता है। इस पहल से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी श्रद्धालु को इलाज के दौरान किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े और इलाज में कोई देरी न हो।

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