मेले का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है, लेकिन महाकुंभ 2025 और भी खास होने जा रहा है, क्योंकि इस बार 144 साल बाद एक दुर्लभ खगोलीय...
महाकुंभ मेला 2025 : 144 साल बाद बना दुर्लभ खगोलीय संयोग, धार्मिक आस्था और परंपरा का प्रतीक
Jan 11, 2025 11:22
Jan 11, 2025 11:22
पौराणिक कथा और कुंभ मेला
महाकुंभ मेला समुद्र मंथन की पौराणिक घटना से जुड़ा हुआ है। समुद्र मंथन के दौरान देवता और राक्षसों ने अमृत प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया था। कथा के अनुसार जब अमृत कलश को लेकर देवता भाग रहे थे तो इंद्र के पुत्र जयंत ने अमृत कलश की रक्षा के लिए उसकी कुछ बूंदें चार स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैनपर गिरा दीं। यह माना जाता है कि देवताओं ने इस दौरान एक गलती की, क्योंकि अमृत की कुछ बूंदों के इन चार स्थानों पर गिरने से इन स्थानों को पवित्र बना दिया। उसी समय से इन स्थानों पर कुंभ मेले की परंपरा शुरू हुई।
खगोलीय संयोग और ज्योतिषीय महत्व
महाकुंभ 2025 इस विशेष कारण से और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति ग्रहों की स्थिति उस खगोलीय संयोग को दोहरा रही है जो समुद्र मंथन के समय बना था। ज्योतिषियों का मानना है कि यह संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है और इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस बार महाकुंभ में स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु जुटने की संभावना है। श्रद्धालु मानते हैं कि इस अवसर का लाभ उठाने से उनके जीवन के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और उन्हें आत्मिक शांति मिलती है।
इतिहास में कुंभ मेला और धार्मिक महत्व
कुंभ मेला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत गहरा है। 7वीं शताब्दी के प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत में प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर आयोजित एक विशाल धार्मिक आयोजन का उल्लेख किया था, जो कुंभ मेले के रूप में आज भी अस्तित्व में है। ह्वेनसांग के अनुसार उस समय लाखों श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होते थे और पवित्र जल में स्नान कर के अपनी आत्मा की शुद्धि करते थे।
धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
महाकुंभ मेला का धार्मिक महत्व तो निर्विवाद है ही, लेकिन इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। खगोलीय संयोग के दौरान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में एक अद्वितीय वृद्धि होती है। जो मानव शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। यह माना जाता है कि कुंभ मेला शरीर और मस्तिष्क के लिए एक प्रकार का शुद्धिकरण होता है, क्योंकि इसे एक प्राकृतिक उपचार के रूप में देखा जाता है। इसी कारण कुंभ मेला न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से लाभकारी है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसे सकारात्मक माना जाता है।
महाकुंभ 2025 की तैयारियां और प्रशासनिक व्यवस्था
महाकुंभ 2025 को लेकर प्रशासन और सरकार ने व्यापक इंतजाम किए हैं। अनुमान है कि इस बार करीब 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में भाग लेने के लिए आएंगे। इसके लिए सरकार ने सभी आवश्यक सुविधाओं—जैसे परिवहन, स्वास्थ्य, सुरक्षा, साफ-सफाई और आवास की व्यवस्था की है। प्रशासन ने विभिन्न स्थानों पर स्नान घाटों, पवित्र जल, और सुरक्षा तंत्र का ध्यान रखते हुए व्यापक इंतजाम किए हैं ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के इस धार्मिक आयोजन में भाग ले सकें।
Also Read
11 Jan 2025 02:12 PM
महाकुंभ के दौरान, शहर के प्रवेश मार्गों पर यातायात का दबाव बढ़ सकता है। इस पर नियंत्रण पाने के लिए 11 जनवरी सुबह आठ बजे से 15 जनवरी सुबह आठ बजे तक भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है... और पढ़ें