करोड़ों श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति करेंगे। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है और यह बारी-बारी से देश के चार पवित्र स्थलों...
अगला महाकुंभ कब और कहां लगेगा? श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है ये पर्व, शाही स्नान से पाप धुलने और पुण्य का अवसर
Jan 13, 2025 15:21
Jan 13, 2025 15:21
शाही स्नान का महत्व
महाकुंभ मेले में शाही स्नान को सबसे शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि शाही स्नान के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस विशेष अवसर पर नागा साधु और विभिन्न अखाड़ों के साधु संत पारंपरिक शाही अंदाज में स्नान करते हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होता है।
144 साल बाद बना दुर्लभ खगोलीय संयोग
महाकुंभ 2025 इस विशेष कारण से और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति ग्रहों की स्थिति उस खगोलीय संयोग को दोहरा रही है जो समुद्र मंथन के समय बना था। ज्योतिषियों का मानना है कि यह संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है और इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस बार महाकुंभ में स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु जुटने की संभावना है। श्रद्धालु मानते हैं कि इस अवसर का लाभ उठाने से उनके जीवन के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और उन्हें आत्मिक शांति मिलती है।
चार पवित्र स्थलों का चक्र
कुंभ हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है और इसका स्थान चार पवित्र स्थलों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में बदलता रहता है। हर स्थान पर महाकुंभ का आयोजन अलग-अलग समय पर होता है। जिससे प्रत्येक स्थल को इसका आयोजन करने का अवसर मिलता है।
कुंभ मेले के प्रकार और उनका महत्व
पूर्ण कुंभ मेला : हर 12 साल में चारों स्थलों पर आयोजित किया जाता है। इसका आयोजन भव्य और व्यापक होता है।
अर्ध कुंभ मेला : हर 6 साल में केवल हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित होता है।
महाकुंभ मेला : यह सभी कुंभ मेलों में सबसे महत्वपूर्ण और दुर्लभ आयोजन है। केवल प्रयागराज में हर 144 साल में एक बार आयोजित होता है।
कुंभ मेला : यह आयोजन हर 12 साल में चारों स्थलों पर घूम-घूम कर होता है।
आगामी कुंभ आयोजन
कुंभ मेला, नासिक
17 जुलाई 2027 से 17 अगस्त 2027 तक
गोदावरी नदी के किनारे आयोजित।
अर्ध कुंभ मेला, प्रयागराज
25 जनवरी 2030 से 13 फरवरी 2030 तक
गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर।
पूर्ण कुंभ मेला, हरिद्वार
14 अप्रैल 2033 से 15 मई 2033 तक
गंगा नदी के किनारे।
पूर्ण कुंभ मेला, उज्जैन
13 अप्रैल 2028 से 14 मई 2028 तक
क्षिप्रा नदी के तट पर।
महाकुंभ, प्रयागराज
अगला आयोजन 144 साल बाद होगा।
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