प्रयागराज के महाकुंभ में देशभर से साधु-संतों का संगम देखने को मिलता है। इसी बीच बुंदेलखंड के महोबा से आए पायाहारी मौनी बाबा अपनी अनूठी जीवनशैली और शिक्षा के प्रति समर्पण के कारण चर्चा का विषय बने हुए हैं।
महाकुंभ में आए मौनी बाबा : 41 साल से मौन हैं, वाट्सएप पर देते हैं UPSC की फ्री कोचिंग
Jan 09, 2025 15:38
Jan 09, 2025 15:38
मौन और चाय के सहारे 41 वर्षों का सफर
पायाहारी मौनी बाबा ने न केवल मौन व्रत धारण किया, बल्कि पिछले 40 वर्षों से उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर दिया है। बाबा का कहना है कि वह दिनभर में केवल 10 कप चाय का सेवन करते हैं, जिससे उन्हें ऊर्जा प्राप्त होती है। उनका असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है और वह प्रतापगढ़ के चिलबिला स्थित शिवशक्ति बजरंग धाम से आए हैं। बाबा चाय के शौकीन हैं और उनके पास आने वाले भक्तों को भी प्रसाद के रूप में चाय ही दी जाती है।
मौन रहकर भी करते है छात्रों का मार्गदर्शन
मौनी बाबा ने अपनी शिक्षा बायोलॉजी में बीएससी तक की है। उनके पिता शिक्षक थे और उनकी मृत्यु के बाद बाबा को शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। लेकिन सांसारिक मोह से उनका मन भर चुका था और उन्होंने संन्यास का मार्ग अपना लिया। बाबा का मानना है कि धर्म और आध्यात्म का असली उद्देश्य सेवा है। उन्होंने सिविल सेवा और पीसीएस की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए फ्री कोचिंग शुरू की। बाबा मौन रहते हुए भी व्हाट्सएप के जरिए छात्रों को नोट्स भेजते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान लिखकर करते हैं। उनके पढ़ाए हुए छात्रों में से हर साल 2 से 3 छात्र सिविल सेवा में चयनित हो जाते हैं। बाबा का कहना है कि उनका उद्देश्य समाज को शिक्षित करना और आत्मनिर्भर बनाना है।
तेज रफ्तार बाइक चलाने का भी है शौक
बाबा जीवनशैली में अनूठापन यहीं खत्म नहीं होता। बाबा को तेज रफ्तार बाइक चलाने का शौक है। हाईवे पर उनकी बाइक की गति 100 किमी प्रति घंटे से कम नहीं होती। बाबा अपनी बुलेट बाइक से 45 मिनट में प्रतापगढ़ से प्रयागराज के कुंभ मेला क्षेत्र तक पहुंच जाते हैं।
धर्म और जीवन के मर्म पर आधारित ग्रंथ
मौनी बाबा ने "धर्म कर्म मर्म सागर" नामक एक ग्रंथ भी लिखा है। इसमें जीवन के हर पहलू जैसे जन्म से मृत्यु तक और सोने से जागने तक के कार्यों के शास्त्रसम्मत नियमों का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ फरवरी तक प्रकाशित होने वाला है। बाबा का मानना है कि मौन व्रत से ऊर्जा का संचय होता है, जिसे वह विश्व कल्याण के लिए उपयोग करते हैं।
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