इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र रहे मुंशी प्रेमचंद ने वर्ष 1919 में इविवि से स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। उनकी जयंती के अवसर पर इविवि के छात्र छात्राओं को मुफ्त किताबों का तोहफा मिला…
हिंदी विभाग में 'किताबें कुछ कहना चाहती हैं' पुस्तकालय का हुआ उद्घाटन : मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मिला मुफ्त किताबों का तोहफा
Aug 02, 2024 03:12
Aug 02, 2024 03:12
- अंध आध्यात्मिकता की निंदा करते हैं प्रेचचंद : प्रोफेसर शिवप्रसाद
- प्रेमचंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके धनपत राय से प्रेमचंद बनने के सफर पर बात की
- शोधार्थियों और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए यह पुस्तकालय प्रो. संतोष भदौरिया के व्यक्तिगत प्रयास से शुरू हुआ
जंयती के अवसर पर हिंदी विभाग के विद्यार्थियों को किताबों का तोहफा मिला
उनकी जंयती के अवसर पर बुधवार को विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विद्यार्थियों को किताबों का तोहफा मिला है। ये किताबें पुस्तकालय से मुफ्त में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं को दी जाएंगी। लेकिन उनको भी उचित समय पर किताबों को पुस्तकालय में वापस करना पड़ेगा। छात्र छात्राएं अपने पाठ्यक्रम से इतर रचनात्मक पुस्तकें जैसे उपन्यास, कहानी संग्रह, जीवनी, संस्मरण, यात्रा वृतांत, आत्मकथा जैसी पुस्तकें प्राप्त कर सकेंगे।
'प्रेमचंद के साहित्य में सघर्षरत समाज' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
प्रो राजेंद्र सिंह राज्य विश्वविद्यालय की प्रेमचंद की जयंती पर 'प्रेमचंद के साहित्य में सघर्षरत समाज' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन। मुख्य वक्ता शिवप्रसाद शुक्ल ने प्रेमचंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके धनपत राय से प्रेमचंद बनने के सफर पर बात की। कहा कि प्रेमचंद आध्यात्मिकता को तो मानते हैं लेकिन अंध आध्यात्मिकता की निंदा करते हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राम किशोर शर्मा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने की।
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