जूना अखाड़े की पारंपरिक पंचकोशी परिक्रमा का भव्य शुभारंभ संगम पूजन के साथ किया गया। इस पवित्र परिक्रमा का नेतृत्व जूना अखाड़े के संरक्षक और अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत हरीगिरी जी महाराज ने किया।
Prayagraj News : प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 से जुड़ी एक बड़ी और महत्वपूर्ण घटना आज से शुरू हुई है। जूना अखाड़े की पारंपरिक पंचकोशी परिक्रमा का भव्य शुभारंभ संगम पूजन के साथ किया गया। इस पवित्र परिक्रमा का नेतृत्व जूना अखाड़े के संरक्षक और अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत हरीगिरी जी महाराज ने किया। अखाड़ा परिषद और मेला प्रशासन की देखरेख में यह परिक्रमा अगले पांच दिनों तक चलेगी, जिसमें श्रद्धालु प्रयागराज के प्रमुख तीर्थों की यात्रा करेंगे।
संगम पूजन से शुरू हुई यात्रा
पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत संगम तट पर विधिवत पूजन और गंगा स्नान से हुई। अखाड़ा परिषद के संतों और साधुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर परिक्रमा के शुभारंभ के लिए भगवान का आह्वान किया। संगम पर पूजा-अर्चना के बाद संतों ने श्रद्धालुओं को परिक्रमा का महत्व समझाया और इसे सनातन धर्म का एक पवित्र कर्तव्य बताया।
पांच दिनों तक चलने वाली परिक्रमा
पंचकोशी परिक्रमा में प्रयागराज के विभिन्न तीर्थों और पवित्र स्थलों की यात्रा शामिल है। संतों और श्रद्धालुओं ने आज संगम स्नान और पूजन के बाद अक्षयवट, पातालपुरी, और मौजगिरी जैसे पवित्र स्थलों का दर्शन किया। आज की यात्रा का समापन हरिहर आरती के पास स्थित दत्तात्रेय शिविर में हुआ।
अगले चार दिनों में परिक्रमा के दौरान अन्य प्रमुख स्थलों जैसे भरद्वाज आश्रम, नागवासुकी मंदिर, अलोपीबाग, और काली सड़क पर स्थित ऐतिहासिक तीर्थों का दर्शन किया जाएगा। यह परिक्रमा प्रयागराज के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को श्रद्धालुओं के सामने प्रस्तुत करती है।
अखाड़ा परिषद और मेला प्रशासन की भूमिका
अखाड़ा परिषद और मेला प्रशासन ने पंचकोशी परिक्रमा के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। परिक्रमा मार्ग को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखा गया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। परिक्रमा मार्ग पर जलपान और चिकित्सा सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। मेला प्रशासन ने संतों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल और स्वयंसेवकों की तैनाती की है।
महंत हरीगिरी जी का संदेश
जूना अखाड़े के संरक्षक और अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत हरीगिरी जी महाराज ने पंचकोशी परिक्रमा का नेतृत्व करते हुए कहा, "यह परिक्रमा न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि हमें प्रयागराज की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर से भी जोड़ती है। यह परिक्रमा सनातन धर्म की महान परंपराओं को जीवित रखने का एक माध्यम है। श्रद्धालुओं को इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए।"
पंचकोशी परिक्रमा का धार्मिक महत्व
पंचकोशी परिक्रमा को सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। यह परिक्रमा न केवल तीर्थयात्रा का प्रतीक है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी है। परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु प्रयागराज के सभी प्रमुख तीर्थों का दर्शन करते हैं और संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं।
श्रद्धालुओं का उत्साह
परिक्रमा में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि पंचकोशी परिक्रमा का हिस्सा बनना उनके लिए सौभाग्य की बात है। ग्वालियर से आए एक श्रद्धालु ने कहा, "पंचकोशी परिक्रमा हमारी संस्कृति और धर्म का अभिन्न हिस्सा है। इस यात्रा में भाग लेकर हमें आत्मिक शांति मिलती है।"
महाकुंभ का आध्यात्मिक आयाम
महाकुंभ 2025 में पंचकोशी परिक्रमा ने एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया है। यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि प्रयागराज की धार्मिक धरोहर और सनातन धर्म की परंपराओं को भी उजागर करती है। जूना अखाड़े की पंचकोशी परिक्रमा महाकुंभ 2025 का एक विशेष और पवित्र हिस्सा है। संगम तट से शुरू हुई यह यात्रा श्रद्धालुओं को प्रयागराज के धार्मिक स्थलों का दर्शन कराने के साथ-साथ सनातन धर्म की परंपराओं से जोड़ती है। महाकुंभ की यह परिक्रमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की अद्वितीयता को भी दर्शाती है।
महाकुंभ 2025 में चर्चा का विषय बनीं मॉडल हर्षा रिछारिया ने एक बड़ा फैसला लिया है। पहले उन्होंने महाकुंभ छोड़ने का विचार किया था, लेकिन अब उन्होंने ऐलान किया है कि वह मेला क्षेत्र में पूरे 45 दिन तक रहेंगी और साधु-संतों की सेवा करेंगी। और पढ़ें