उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हाल ही में दिए गए एक बयान को लेकर याचिका दाखिल की गई है, जिसमें उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाया गया है।
डिप्टी सीएम की बढ़ सकती हैं मुश्किलें : इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा 'सरकार से बड़ा संगठन' मामला, केशव मौर्य की नियुक्ति पर उठे सवाल
Aug 01, 2024 17:28
Aug 01, 2024 17:28
संवैधानिक पद की गरिमा पर सवाल
याचिका में यह तर्क दिया गया है कि केशव मौर्य का यह बयान संवैधानिक पद की गरिमा और सरकार की पारदर्शिता और शुचिता पर सवाल खड़े करता है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि इस बयान का न तो भाजपा ने खंडन किया है और न ही राज्यपाल और चुनाव आयोग ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जो कि एक गंभीर मामला है।
केशव मौर्य की नियुक्ति पर उठे सवाल
याचिका में केशव प्रसाद मौर्य के आपराधिक इतिहास का भी उल्लेख किया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि उप मुख्यमंत्री बनने से पहले केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ सात आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। इतने मुकदमों के बावजूद, केशव प्रसाद मौर्य की संवैधानिक पद पर नियुक्ति की गई है, जो कि गलत है और इसे चुनौती दी जानी चाहिए।
सियासी गलियारों में चर्चाएं
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और योगी सरकार के बीच उठापटक की चर्चाएं सियासी गलियारों में जोर पकड़ रही हैं। केशव मौर्य ने भाजपा ओबीसी मोर्चा की कार्य समिति की बैठक में कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन है और चुनाव सरकार नहीं बल्कि पार्टी का संगठन जिताता है। यह बयान उनके 14 जुलाई के भाषण के संदर्भ में है, जिसमें उन्होंने इसी तरह की बात कही थी।
राजनीतिक विवाद
यह पहली बार नहीं है जब केशव मौर्य ने इस तरह का बयान दिया है। कई मौकों पर उन्होंने इसी तरह के बयान दिए हैं, जो विवाद का कारण बने हैं। उनके इस बयान के बाद, राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं और उनकी नियुक्ति को लेकर उठे सवालों ने एक नया मोड़ ले लिया है।
डिप्टी सीएम की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
इस याचिका के दाखिल होने के बाद, केशव प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह मामला सरकार और पार्टी संगठन के बीच संतुलन और पारदर्शिता के महत्व को लेकर महत्वपूर्ण है। अब यह देखना होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और इससे उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्या बदलाव आता है।
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