'आईआईटी वाले बाबा' को जूना अखाड़े ने निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई उनकी ओर से माता-पिता और गुरु के अपमान के बाद की गई है...
जूना अखाड़े का बड़ा फैसला : IIT वाले बाबा को किया निष्काषित, इस वजह से लिया गया एक्शन
Jan 19, 2025 14:35
Jan 19, 2025 14:35
अपने बयानों को लेकर चर्चा में आए
अभय सिंह सोशल मीडिया पर पहले अपनी मुस्कान और फिर अपने जीवन के बारे में दिए गए बयानों को लेकर चर्चा में आए थे। उन्होंने बताया था कि उन्होंने घर छोड़ने का निर्णय माता-पिता के बीच के झगड़ों के कारण लिया था। अभय, हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं और उन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की थी। इसके बाद उन्होंने कनाडा में भी काम किया था, लेकिन अचानक वह घर लौटे और फिर गायब हो गए थे। कुछ समय बाद, वह महाकुंभ में नजर आए।
बिना घर पर सूचना दिए हुए गायब
परिवार के अनुसार, अभय सिंह करीब 11 महीने पहले घर से बिना किसी सूचना के गायब हो गए थे। इसके बाद उनका कोई पता नहीं चला। हाल ही में उनका वीडियो वायरल होने के बाद उनके पिता कर्ण सिंह प्रयागराज पहुंचे और पता चला कि अभय महाकुंभ में मौजूद थे। अभय सिंह ने अपने परिवार और गुरु के बारे में ऐसे बयान दिए थे, जिन्होंने धार्मिक समुदाय में असहमति और आपत्ति का कारण बने।
माता-पिता के झगड़े देख किया फैसला
अभय ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके जीवन में वैराग्य का भाव तब आया जब उन्होंने अपने माता-पिता के बीच झगड़े देखे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर घर में ही झगड़ा करना है तो शादी क्यों की जाए। इसके अलावा, उन्होंने अपने गुरु के बारे में भी विवादास्पद बयान दिए थे, जिसे लेकर संतों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अभय सिंह ने यह भी दावा किया था कि माता-पिता भगवान से बड़े नहीं हो सकते। उनके इस बयान पर जूना अखाड़े ने आपत्ति जताई और उन्हें पंडाल छोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद वह अचानक गायब हो गए। अब जूना अखाड़े ने कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें निष्कासित कर दिया है और अब वह इस अखाड़े से जुड़े नहीं हैं।
क्या बोले संत हरि गिरि महराज
जूना अखाड़े के प्रमुख संत हरि गिरि महाराज ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि गुरु और माता-पिता का सम्मान करना अखाड़े के सिद्धांतों का हिस्सा है। अभय सिंह ने इन सिद्धांतों का उल्लंघन किया है, इसलिए उन्हें निष्कासित किया गया। गुरु-शिष्य परंपरा का उल्लंघन और अनुशासनहीनता के कारण उन्हें यह कठोर कदम उठाना पड़ा।
संत बोले अखाड़े में अनुशासन और परंपरा सर्वोपरि
संत हरि गिरि ने यह भी कहा कि गुरु के प्रति असम्मान का मतलब सनातन धर्म और अखाड़े की परंपरा के प्रति असम्मान है। अखाड़े में अनुशासन और परंपरा का पालन सर्वोपरि है। अभय सिंह ने अपने गुरु को 'पागल' और पिता को 'हिरणकश्यप' कहा, जिसे किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
पंच परमेश्वर के निर्णय के बाद दिया आदेश
अखाड़े की अनुशासन समिति ने इस मुद्दे पर बैठक की थी, जिसमें पंच परमेश्वर के निर्णय के बाद अभय सिंह को निष्कासित करने का आदेश दिया गया। अब जब तक अभय सिंह अपने गुरु और माता-पिता का सम्मान करना नहीं सीखते, तब तक उन्हें अखाड़े में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस दौरान संत महंत हरि गिरि ने यह भी बताया कि अभय सिंह ने दीक्षा महंत सोमेश्वर पुरी जी से ली थी, और दीक्षा लेने के बाद वह जूना अखाड़े के सदस्य बने थे।
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