प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े मेले का आगाज हो चुका है। विश्व चमत्कृत है। सनातन का सबसे बड़ा महापर्व साकार हो चुका है। उत्तर प्रदेश टाइम्स के साथ मेले का सजीव ब्योरा पढ़िए....
माघ मकरगत रबि जब होई : हर कदम संगम की ओर, सनातन के सबसे बड़े पर्व ने दुनिया को चौंकाया
Jan 13, 2025 12:20
Jan 13, 2025 12:20
हजारों साल पुरानी कथा फिर साकार
प्रयागराज तीर्थ पर हजारों साल से महामेले का आयोजन हो रहा है। आज ये फिर नजरों के सामने साकार हो गया। कुंभ मेला कब से शुरू हुआ, इसका सटीक काल ज्ञात नहीं है। अथर्ववेद में उल्लेख है कि ब्रह्माजी ने मनुष्यों के पोषण और वृद्धि के लिए चार कुंभों को चार स्थानों में स्थापित किया। शिव पुराण में वर्णित है कि जब गुरु बृहस्पति सिंह राशि में आते हैं, तब देवता गंगा के तट पर एकत्रित होते हैं।
श्रीरामचरितमानस में प्रयागराज के महत्व का वर्णन बहुत रोचक तरीके से किया है। गोस्वामी तुलसीदास ने इस महाआयोजन को श्रीरामचरितमानस में कुछ यूं लिखा है-
माघ मकरगत रवि जब होई, तीरर्थ पतिहिं आव सब कोई।
देव दनुज किन्न्र नर श्रेनी, सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी।
पूजहिं माधव पद जल जाता, परसि अछैवट हरषहिं गाता।
भरद्वाज आश्रम अति पावन, परम रम्य मुनिवर मन भावन।
तहां होइ मुनि रिसय समाजा, जाहिं जे मज्जन तीरथ राजा।
बूढ़े-बच्चे और युवा, सब रम गए
महापर्व ने सबको स्वत: स्फूर्त कर दिया है। सबसे पहले गंगा मैया की गोद में डुबकी लगाकर सत्कर्मों को सफल करने और पापों का नाश करने की कामना करने वाले हर युवर्ग के हैं। जनवरी की कड़ाके की ठंड में न युवा पीछे हैं और न बूढ़े-बच्चे। सब रम गए हैं। सुबह जब तक शहरों ने आंखें खोली हैं, तब तक तंबुओं के इस पवित्र शहर में आकर पचास लाख से ज्यादा लोग कड़कती ठंड के बावजूद डुबकी लगा चुके हैं। ये अद्भुत है, अविश्वसनीय है लेकिन आंखों के आगे साकार है।
पग रखने की जगह नहीं
ये दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। यहां लोग अपने हिस्से का पुण्य लूटने लगातार आ रहे हैं। रास्ते अटे पड़े हैं। सड़कों पर पग रखने की जगह नहीं। घाटों पर तिल रखने का स्थान नहीं। हर सेकेंड हजारों लोग स्नान-दान कर रहे हैं। इस भक्ति का कोई पैमाना नहीं। इसका कोई सानी नहीं। न कोई इसकी बराबरी कर सकता है। ये काल से परे है क्योंकि इस नश्वर संसार में लोग आते-जाते रहते हैं। पीढ़ियां बदल जाती हैं। शताब्दियां बीत जाती हैं। आस्थाऔर प्रगाढ़ होती है, कभी कम नहीं होती। संगम नोज, एरावत घाट और वीआईपी घाट समेत सभी घाटों पर सुबह से ही इतने लोग हैं, जितनी किसी महानगर की आबादी हो। बुजुर्ग और महिलाएं परंपराओं का पालन कर रहे हैं। बच्चे रहस्यमय भाव से देख और सीख रहे हैं। साथ ही हजारों युवा इन पलों को कैमरों में कैद करके सोशल मीडिया के जरिए दुनिया तक पहुंचा रहे हैं। मानों कह रहे हों- चले आइए प्रयागराज।
देश-काल न जाति-धर्म, बस चले आओ
ये सनातन का सत्य स्वरूप है। न यहां कोई देशकाल पूछ रहाए न किसी की जाति। मन में श्रद्धा है तो चले आइए। प्रयागराज से पेरिस तक और इंडिया से इंडोनेशिया तक के श्रद्धालु यहां हैं और इस दुर्लभ अवसर को महसूस कर रहे हैं। पहले ही दिन प्रयागराज व आसपास के इलाकों समेत बिहार, हरियाणा, बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश जैसे प्रांतों की भारी भीड़ संगम समेत तीर्थराज प्रयागराज के विभिन्न घाटों पर देखने को मिली। अलग-अलग देशों से आए लोग बता रहे हैं कि इतनी भीड़ उन्होंने कभी नहीं देखी। बिना आमंत्रण लाखों लोग एक प्रयोजन से जुटे हैं। विदेशी चौंक रहे हैं। कैमरे में कैद कर रहे हैं। सनातन के इस सत्य से चमत्कृत हैं। स्पेन से आई क्रिस्टीना भी इन्हीं में से एक थीं। उन्होंने महाकुम्भ की भव्यता को देखकर मुक्त कंठ से अद्भुत क्षण की प्रशंसा की। साउथ कोरिया से आए यू-ट्यूबर दल महाकुम्भ के विभिन्न शॉट्स को अपने कैमरे से कैप्चर करते दिखे। रूस-अमेरिका समेत यूरोप के विभिन्न देशों से आए सनातनी श्रद्धालुओं ने इस महापर्व का साक्षात्कार करने के साथ पुण्य की डुबकी भी लगाई। जापान से आए पर्यटक महाकुम्भ में अपार जनसैलाब को देखकर स्थानीय गाइडों से जानकारी लेकर चमत्कृत दिखे। महाकुंभ में पहुंचे इटली के एक भक्त ने कहा, "यह बहुत पावरफुल है। मेरे मन में बहुत सारी भावनाएं, रंग और सब कुछ है। यह भारत में मेरा पहली बार संस्कृति से साक्षात्कार है।'
आस्था और आधुनिकता का संगम
उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि महाकुंभ 2025 आज से शुरू हो गया है। अब तक करीब 60 लाख लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है। इस बार यह आस्था और आधुनिकता का संगम है। हमने पारंपरिक पुलिस व्यवस्था से इतर तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल कर श्रद्धालुओं को बेहतर व्यवस्था दी है। आज पुष्प वर्षा भी होगी। सबकुछ सुचारू और निर्बाध चल रहा है। इस बार कुंभ भव्य, दिव्य, डिजिटल और सुरक्षित हो, इसके लिए सभी इंतजाम किए जा रहे हैं। एडीजी भानु भास्कर ने कहा कि मेला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। सुबह 3 बजे से ही सभी फोर्स तैनात कर दी गई है। स्नान वाले स्थानों पर पूरी पुलिस व्यवस्था है। सभी अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं। कहीं कोई दिक्कत नहीं है।
इसलिए खास है ये महाकुंभ
इस महाकुंभ में देश-दुनिया से 45 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों-भक्तों, कल्पवासियों और अतिथियों के शामिल होने का अनुमान है। 144 साल बाद दुर्लभ संयोग में यह महाकुंभ माना जा रहा है। विपरीत विचारों, मतों, संस्कृतियों, परंपराओं स्वरूपों का महामिलन 45 दिन तक गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर चलेगा। महाकुंभ में इस बार 183 देशों के लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। कुंभनगरी में सेक्टर-18 में वीआईपी गेट भी बनाया गया है। इस पॉइंट पर 72 देशों के राष्ट्रध्वज लगे हैं, जिनके प्रतिनिधि औपचारिक रूप से मेले में शामिल होने के लिए आ रहे हैं।
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