छात्रों का आंदोलन तीसरे दिन भी जारी : ढोल और नगाड़ों के साथ दिया नारा- जुड़ेंगे और जीतेंगे भी...

ढोल और नगाड़ों के साथ दिया नारा- जुड़ेंगे और जीतेंगे भी...
UPT | छात्रों का आंदोलन तीसरे दिन भी जारी

Nov 13, 2024 13:57

प्रयागराज में यूपी लोक सेवा आयोग (UPPSC) के कार्यालय के बाहर अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन बुधवार को तीसरे दिन भी जारी है। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, जिसमें रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और पुलिस बल के जवान भी मौके पर तैनात हैं...

Nov 13, 2024 13:57

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश में लगातार पेपर लीक और रद्द होने के चलते छात्रों की सहन सीमा पार हो गई है। छात्र अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे हैं। प्रयागराज में यूपी लोक सेवा आयोग (UPPSC) के कार्यालय के बाहर अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन बुधवार को तीसरे दिन भी जारी है। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, जिसमें रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और पुलिस बल के जवान भी मौके पर तैनात हैं। वहीं अभ्यर्थियों ने ढोल और नगाड़ों के साथ एक गूंज में नारा दिया है- जुड़ेंगे और जीतेंगे भी।

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नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ पोस्टर जारी
मंगलवार को प्रयागराज में धरना स्थल पर अभ्यर्थियों के बीच ड्रम और नगाड़ों की आवाज़ों के बीच "जुड़ेंगे और जीतेंगे भी" का नारा गूंजता रहा। अभ्यर्थियों ने नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के खिलाफ पोस्टर जारी कर आयोग पर तंज कसा और पदों की रेट लिस्ट भी प्रकाशित की। इस दौरान, पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा अभ्यर्थियों से मिले और उन्हें बताया कि वह भी पहले प्रतियोगी छात्र रहे हैं। उन्होंने अभ्यर्थियों से अपील की कि वे धरना स्थल से हटकर सिविल लाइंस स्थित धरने पर चलें, ताकि रास्ता खुले और आम जनता को परेशानी न हो।



कमिश्नर की आयोग के सामने से हटने की अपील
पुलिस कमिश्नर ने अभ्यर्थियों से कहा कि धरना स्थल पर उनकी सुविधा के लिए उचित व्यवस्थाएं की जाएँगी। हालांकि, अभ्यर्थी इससे नाराज़ हो गए और उनका कहना था कि अब वे कहीं नहीं जाएंगे। इसके बाद, सुबह 11 बजे तक धरना स्थल पर फिर से हजारों अभ्यर्थी इकट्ठा हो गए। अभ्यर्थी अलग-अलग जत्थों में पहुंचे, और हर जत्थे का तरीका अलग था। कुछ ढोल और नगाड़ों के साथ नाचते-गाते हुए पहुंचे, तो कुछ ने सांकेतिक रूप से शवयात्रा लेकर विरोध जताया। दिनभर आयोग के बाहर ढोल और नगाड़ों की आवाज़ गूंजती रही, और अभ्यर्थियों ने साफ तौर पर कहा कि "न तो हम सोएंगे, न ही सोने देंगे।"

सड़क पर लिखा ये नारा
कई अभ्यर्थियों के हाथ में पोस्टर नजर आए, जिस पर लिखा था, 'पहले आओ पहले पाओ। यदि नॉर्मलाइजेशन लागू है तो रेट लिस्ट- एसडीएम 70 लाख, डिप्टी एसपी 65 लाख, एआरटीओ 60 लाख, बीएसए 55 लाख, पीसीएस जे 70 लाख। यूपीआई व ऑनलाइन पेमेंट स्वीकार।' इसी तरह आयोग के गेट नंबर-2 के सामने सड़क पर लिखा गया, 'हम छात्रों की एक ही इच्छा, एक पाली में हो परीक्षा।

काला कपड़ा पहनकर विरोध जारी
आज प्रतियोगी छात्र काला दिवस मना रहे हैं। भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह ने बताया कि प्रतियोगी छात्र 13 नवंबर को काले कपड़े पहनकर अपना विरोध व्यक्त कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपने-अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी काले रंग का प्रदर्शनी की है, ताकि उनका विरोध और अधिक प्रभावी तरीके से सामने आ सके।

पुलिस पर छात्रों के परिवारों को धमकाने का आरोप
वहीं प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी, प्रशांत पांडेय ने आरोप लगाया है कि आंदोलन के दौरान पुलिस ने उनके परिवार को धमकाया है। उनके अनुसार, एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) के अधिकारी उन्हें लगातार फोन कर रहे थे और उनके फोन नंबर के जरिए उनके पैतृक घर का पता लगा लिया। प्रशांत ने दावा किया कि गोपीगंज थाने की पुलिस ने ज्ञानपुर स्थित उनके प्रशासनिक आवास पर जाकर उनके 70 वर्षीय पिता और बड़े भाई को धमकी दी, यह कहते हुए कि वे प्रशांत को समझा लें ताकि वह आंदोलन में शामिल न हों।

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छात्रों ने दी न्यायालय जाने की चेतावनी
प्रशांत पांडेय ने स्पष्ट किया कि वह आंदोलन में सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं, लेकिन उन्होंने इसका समर्थन किया है। उन्होंने बताया कि उनके पिता, जो सरकारी सेवा से रिटायर हैं और ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, को पुलिस द्वारा धमकाया गया। प्रशांत ने यह भी कहा कि वह 15 साल पहले प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रयागराज आए थे, और तब से अपने घर बहुत कम जाते हैं। उनका कहना था कि अगर पुलिस को उनसे कोई बात करनी थी, तो वे सीधे उनसे संपर्क कर सकते थे, लेकिन परिवार का उत्पीड़न क्यों किया जा रहा है, यह समझ से परे है। वहीं, प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने कहा कि अगर पुलिस ने अपना रवैया नहीं बदला, तो वे पुलिस कप्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को यह अधिकार नहीं है कि वह शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे किसी छात्र या उसके परिवार को उत्पीड़ित करे।

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